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'ज्ञानदीप' के आंगन में जल का 'प्रवाह'

देवघर : यदि मेहनत, लगन और संकल्प के साथ कुछ करने की ठानी जाए तो सफलता अवश्य मिलती है। जिले के सोनारा

By Edited By: Published: Wed, 28 Jan 2015 06:54 PM (IST)Updated: Wed, 28 Jan 2015 06:54 PM (IST)
'ज्ञानदीप' के आंगन में जल का 'प्रवाह'

देवघर : यदि मेहनत, लगन और संकल्प के साथ कुछ करने की ठानी जाए तो सफलता अवश्य मिलती है। जिले के सोनारायठाढ़ी गांव में 15 स्वयंसहायता समूह की 185 महिला सदस्यों ने इसे सच कर दिखाया। फिलवक्त उनके सहयोग से बने कलस्टर 'ज्ञानदीप' के आंगन में हमेशा जल का भंडार मौजूद रहता है। जलसंरक्षण से लेकर जलप्रबंधन तक का ऐसा ताना-बाना बुना गया है कि काफी कम पानी में भी अच्छी खेती कर वे समाज को प्रेरित कर रही हैं।

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'प्रवाह' ने की पहल : वर्ष 2011 में उन महिलाओं को संगठित करने का कार्य 'प्रवाह' नामक संस्था ने किया। पहले तो महिलाओं को स्वयंसहायता समूह के मायने बताए गए। फिर संस्था ने समूह की सदस्यों को कलस्टर बनाने की सलाह दी। इसके बाद उन्हें प्रशिक्षण देकर खेती-बारी की बारीकियां बताई गई। जलप्रबंधन से लेकर पर्यावरण संरक्षण तक के टिप्स दिए गए। बताया गया कि किस प्रकार वर्षाजल को संरक्षित किया जाए। बस, फिर क्या था, प्रवाह की मदद से मेढ़ पर पौधरोपण कर जगह-जगह डोभा बनाया गया। उनमें जमा वर्षाजल से गरमी के दिनों में श्रीविधि से खेती की गयी।

कलस्टर की भूमिका तालाब-डोभा के मेढ़ पर पौधरोपण, तालाब निर्माण के लिए पहल, तालाब में मत्स्यपालन पर जोर एवं कम पानी में खेती का गुर बताना।

6 गांव 15 समूह 185 सदस्य जलसंरक्षण की इस मुहिम में तीन साल से छह गांव के पंद्रह समूह की 185 महिलाएं जुटी हुई हैं। दिगम्बरपुर गांव से दिगंबराय एवं मां शारदे समूह, पावै से सरस्वती एवं पार्वती, दौंदिया से लक्ष्मी एवं पार्वती, झांझी से गुलाब एवं गायत्री, पोखरिया से मां दुर्गा, बरजोरा से मनोरमा एवं दुर्गा और लालोडीह से दुर्गा, पार्वती एवं सरस्वती नामक स्वयंसहायता समूह इस मुहिम के वाहक हैं। प्रत्येक माह समूह की सदस्य महिलाएं बैठक कर संकल्प लेती हैं कि वे हर महीने पांच लोगों को अपने मिशन से जोड़ेंगी। समय-समय पर जागरूकता जुलूस भी निकाला जाता है।

इनसेट--

प्रशिक्षण का लाभ-अनुभव

प्रवाह संस्था की ओर से प्रशिक्षण देकर जलसंरक्षण के बारे में बताया गया। इसके बाद हमलोगों ने समूह का गठन किया। आज गांव की अन्य महिलाओं को इसकी जानकारी दे रहे हैं।

- शकुंतला, टीम लीडर, देवघर

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डोभा बनाया गया जिससे गर्मी के दिनों में खेती की जाती है। बरसात के समय में इसमें पानी को एकत्र किया जाता है।

- कौशल्या देवी, सरस्वती समूह, देवघर

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गांव की महिलाओं को तालाब के मेढ़ पर पौधरोपण कर वर्षा के समय मिट्टी के बहाव को रोकने और वर्षाजल बर्बाद नहीं होने देने के बारे में बताते हैं।

- कलावती, देवघर

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प्रवाह ने सोनारायठाढ़ी प्रखंड के छह गांव को चिह्नित कर महिलाओं को एकत्र किया। फिर समूह का गठन कर जलसंरक्षण, जलप्रबंधन एवं पर्यावरण संरक्षण का गुर बताया गया। आर्थिक रूप से डोभा एवं तालाब के निर्माण में मदद की गयी। पौधरोपण कराया गया, ताकि खेतों में मिट्टी कटाव न हो।

- दिलीप कुमार, सचिव, प्रवाह, देवघर


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