बुरा करने वालों के लिए सारे रास्ते बंद : अरण्य
मधुपुर (देवघर) : सांख्य योग दर्शन के लिए विश्व प्रसिद्ध साधना स्थल कपिल मठ में परमर्षि कपिलदेव जी के
मधुपुर (देवघर) : सांख्य योग दर्शन के लिए विश्व प्रसिद्ध साधना स्थल कपिल मठ में परमर्षि कपिलदेव जी के 88वें वार्षिकोत्सव पर भक्तिमय माहौल बना हुआ है। तीन दिवसीय आयोजन के दूसरे दिन रविवार को हजारों श्रद्धालुओं के बीच महाप्रसाद का वितरण किया गया। कपिलोत्सव के अवसर पर स्वामी भास्कर अरण्य गुफा से निकलकर मंदिर की वेदी पर विराजमान हुए। कहा कि ईश्वर की आराधना के समय चिंतन अवश्य करें, तभी परमार्थ की प्राप्ति हो सकती है। मनुष्य को पवित्र जीवन बिताना चाहिए। अर्थ कमाना ही जीवन का मकसद नहीं हो इसका ध्यान रखना चाहिए। परमार्थ करना जीवन का उद्देश्य होना जरूरी है तभी मानव जाति को दुखों से मुक्ति मिल सकती है। जिस तरह एक अच्छा पुजारी मंदिर को बहुत ऊंचाई तक ले जाता है। उसी तरह मनुष्य को परमार्थ के कार्य में मन व चित्त को शांत कर जीवन जीने की जरूरत है। सभी धर्म एक है और सिर्फ परमार्थ करने का संदेश देता है। आज पूरी दुनिया व समाज में जो लोग लड़ते हैं धर्म के नाम उनका एकमात्र मकसद स्वार्थ होता है। धर्म हमें आचरण का अनुपालन की सीख देता है। जहां धर्म है वहीं परमार्थ अर्थात ईश्वर है। भारत भूमि पर धर्म का पालन करें। कहा कि बुरा करनेवालों के लिए सारे रास्ते बंद हो जाते हैं। जो लोग गलत करते हैं उन्हें अगले जन्म में कई दुर्गम योनियों से गुजरना पड़ता है। यह हमारा सनातन धर्म का उपदेश है।
स्वामीजी ने सांख्य योग के उपदेशों का अनुसरण करने को कहा। बताया कि विश्व में शांति, आतंकवाद, सांप्रदायिकता का चारों तरफ उन्माद मचा हुआ है। इसका मात्र समाधान ऋषियों द्वारा बताए गए उपदेशों व मार्गदर्शन का अनुसरण करना है।
वार्षिकोत्सव के अवसर पर पूरे मठ को आकर्षक तरीके से सजाया गया था। यहां पर देश के दिल्ली, मुबई, बंगाल, बिहार, झारखंड के विभिन्न जिलों से आए श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है। सुबह से ही भक्तों की भीड़ लगी हुई थी। सबसे पहले कपिल मुनिजी के मंदिर में सभी भक्तों ने माथा टेका और इसके बाद महाप्रसाद ग्रहण किया। महोत्सव को सफल बनाने में मठ के अनुयायी कोलकाता के प्रसिद्ध डॉ. अरविंद पाल, दीनू पटेल, विष्णु टिबड़ेवाल, मुन्ना बथवाल, चुन्नी लाल पटेल, निसू पंडित, अजय लक्षीरामका, सुधीर पंडित, दीपू लक्षीरामका, मनोज पटेल, समर पाल, अमरजीत कुमार, दिनेश कुमार पटेल, अशोक गुप्ता, राहुल साह आदि की भूमिका सराहनीय रही।
कपिल मठ में लगी ग्रंथावली की प्रदर्शनी
महर्षि कपिलदेव जी का वार्षिक पूजनोत्सव व पाठ के कारण उत्सवी माहौल बना रहा। मठ के संस्थापक हरिहरानंद अरण्य व धर्ममेघ अरण्य स्वामीजी के साधना काल से समाधि के पूर्व तक लिखित पुस्तकों व ग्रंथावली के लगाए गए प्रदर्शनी व स्टाल का झारखंड, बिहार, दिल्ली, मुंबई, जलपाईगुड़ी, अहमदाबाद, कोलकाता के सैकड़ों अनुयायियों ने अवलोकन किया और कई ग्रंथों की खरीदारी की। स्वामीजी द्वारा लिखित जिन ग्रंथावली को आम श्रद्धालुओं के लिए प्रदर्शित की गई थी। उनमें प्रमुख रूप से कपिलाश्रमीय पतंजलि योगदर्शन, योग सोपान, योगकारिका, सरल सांख्य, योग, कर्मत्तव, दार्शनिक निबंधावली, श्रुतिसार, धर्मचर्चा और मनुसार, शिवध्यान ब्रह्मचारी का अनोखा पारमर्शिक भ्रमण, समाप्ति, धर्मपद्म, बोधिचर्यावतार, शांति लिपि, इति शुश्रुम धर्म परिचय, योग फीलोस्फी आफ पतांजलि, ए यूनिक ट्रेवलोग, वे टू इट्रनल पीस, प्रोग्रेसिव एंड प्रैक्टिल समख्या योगा, शो हैव वी हर्ट, समख्या एकास द मिलेनीनियमस शामिल हैं।