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भक्तों ने दिया मां को निमंत्रण, प्राण-प्रतिष्ठा आज

देवघर : शारदीय नवरात्र की षष्ठी तिथि मंगलवार को बेलभरणी पूजन के साथ विभिन्न पूजा पंडालों व मंदिरों म

By Edited By: Published: Wed, 01 Oct 2014 01:10 AM (IST)Updated: Wed, 01 Oct 2014 01:10 AM (IST)
भक्तों ने दिया मां को निमंत्रण, प्राण-प्रतिष्ठा आज

देवघर : शारदीय नवरात्र की षष्ठी तिथि मंगलवार को बेलभरणी पूजन के साथ विभिन्न पूजा पंडालों व मंदिरों मां भगवती को निमंत्रण दिया गया। बुधवार सप्तमी को मां की प्राण-प्रतिष्ठा की जाएगी और मंदिर व पंडालों का पट दर्शन के लिए खोल दिया जाएगा। शारदीय नवरात्र में बाबानगरी में भक्तिमय माहौल बना हुआ है। षष्ठी को विभिन्न बेल वृक्षों के पास बेलभरणी पूजा तंत्रोक्त एवं वैदिक रीति के आधार पर की गई। माना जाता है कि भगवती का प्रथम पदार्पण बेल वृक्ष से ही हुआ है। शहर के घड़ीदार घर, बंगलापर, भीतरखंड, भीतरपाड़ा, कृष्णापुरी, भैया दालान, राजगुरुबाड़ी, हरदला कुंड, बरनवाल धर्मशाला, बरमसिया पूजा समिति, बेला बगान, खोरादह, देवसंघ, पुरंदहा, डोमासी, अपर बिलासी, शंकर टॉकीज, सत्संग नगर, बालानंद ब्रह्मचारी आश्रम आदि स्थानों पर पूजा का आयोजन किया गया है। भीतरखंड कार्यालय की पूजा जलसार रोड में की गयी। मायाशंकर शास्त्री, दुर्गा महाराज ने तांत्रिक विधि से माता को निमंत्रण दिया। मधुपुर अनुमंडल मुख्यालय में मां बेलभरनी की पूजा की गई। पूजा स्थलों पर माता के मधुर भजन-गीतों, चंडी पाठ, बंगला पाठ होने से मधुपुर नगरी माता के भक्ति में खोया प्रतीत हो रहा है। करौं के कर्णेश्वर, दे पाड़ा, कायस्थपाड़ा, आचार्य पाड़ा मंदिरों में भी पूजा की गयी। बुधवार को मंदिरों का पट खोल दी जाएगी। सारठ के दर्जनों स्थानों पर मां दुर्गा के छठे स्वरूप की पूजा की गई। चारों ओर माहौल भक्तिमय बन गया।

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बंद होगा बाबा मंदिर परिसर

प्राचीन परंपरा के मुताबिक बाबा मंदिर स्थित पार्वती, काली एवं संध्या मंदिर का कपाट बंद हो जाएगा। यह हवन के बाद दशमी के दिन आम श्रद्धालुओं के लिए खुलेगा। शक्तिपीठ में कई पौराणिक मंदिरों में शक्ति की अधिष्ठात्री मां दुर्गा के कई रूपों की पूजा वैदिक, तंत्रों, रहस्य, कौल मार्ग के आधार पर की जाती है। बाबा मंदिर परिसर स्थित मां पार्वती, संध्या एवं काली मंदिरों का पट सप्तमी, अष्टमी एवं नवमी को बंद रहता है। इसके तहत सभी मंदिरों का पट सप्तमी के दिन बंद हो जाएगा। तीर्थ पुरोहितों के अनुसार यह परंपरा 'खाड़ा बंधाना' के रूप में प्रचलित है। इसमें नारी सम्मान के लिए पूजा-अर्चना वर्जित माना गया है। मां के इन तीनों रूप भीतरखंड स्थित दुर्गा के रूपों में विराजमान रहती है। भीतरखंड में दशकों से प्रतिमा पूजन, हवन, कुमारी भोजन, कुमारी पूजा तथा बलि प्रदान की परंपरा है।

वर्षो पुरानी डलिया की परंपरा

देवाधिदेव महादेव की नगरी में बारहों महीने धार्मिक अनुष्ठान होते हैं, लेकिन विशेष अवसरों पर देवघर का धार्मिक वातावरण देखते ही बनता है। महाष्टमी के अवसर पर विभिन्न वेदी व पूजा पंडालों में मां को डलिया अर्पित किया जाता है। दशकों से यह परंपरा चली आ रही है। सुख-शांति के लिए मां को डलिया चढ़ाया जाता है। प्राय: सभी घरों में डलिया सजायी जाती है, जिसे अष्टमी के दिन विभिन्न वेदी व पूजा पंडालों में मां को अर्पित किया जाता है।


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