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घटते सीडी रेसियो ने बढ़ायी चिंता

By Edited By: Published: Fri, 19 Sep 2014 01:20 AM (IST)Updated: Fri, 19 Sep 2014 01:20 AM (IST)
घटते सीडी रेसियो ने बढ़ायी चिंता

देवघर : वार्षिक साख योजना बनाने में जितनी मेहनत की जाती है, उतनी मेहनत बैंकसह कार्ययोजना बनाकर उसकी हर महीने समीक्षा की जाय तो सीडी रेसियो (जमा साख अनुपात) का परिणाम जिले के विकास को एक नया आयाम दे सकता है पर ऐसा नहीं होता। जिला अग्रणी बैंक सरकार व वित्तीय संस्थान के बीच समन्वय की भूमिका में तो रहता है पर ऐसा कोई ठोस उपाय कभी नहीं किया गया कि सीडी रेसियो बढ़े। संप्रति जिला का सीडी रेसियो 36 फीसद है जो अभी घट रहा है। चौंकानेवाले आंकड़े सामने आ सकते हैं जब बैंकों के क्रेडिट कॉलम से पर्सनल लोन की राशि को हटा दिया जाय। व्यक्तिगत ऋण ही ज्यादा किया जा रहा है।

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साल में चार बार होनेवाली बैठक में केवल चर्चा हो जाती है, बैंक की मंशा केवल और केवल सरकारी राशि को अधिक से अधिक अपने बैंकों तक लाना रह जाता है। अनुपात बढ़े इसके लिए समेकित प्रयास करने की जरूरत है। बैंक को इसमें आगे आना होगा क्योंकि वित्त का मामला सीधा-सीधा उनसे जुड़ा है। प्रशासन से सहयोग लेकर उद्यमियों के साथ, छोटे-छोटे कारोबारियों के साथ सेमिनार का आयोजन करे। केवल डिपोजिट पर ध्यान देने से मकसद पूरा नहीं होगा।

प्रशासन की बढ़ रही सख्ती

घटते-सीडी रेसियो से उपायुक्त खासे नाराज हैं, इसे उन्होंने डीएलसीसी की बैठक में जाहिर भी की। सरकारी राशि को अपने-अपने बैंक में रखने के लिए प्रशासनिक गलियारे में चक्कर लगानेवाले वैसे बैंक अधिकारियों को इस बात से झटका लगा है, कि परफारमेंस के आधार पर ही सरकारी राशि मिलेगी। दरअसल बैंक के उच्चाधिकारी का भी फोकस डिपोजिट पर ही होता है, इसी आधार पर सीआर रेखांकित कर दिया जाता है। इसलिए बैंकों को क्रेडिट से बहुत कम मतलब रह जाता है। अब ऐसा नहीं होगा जिलास्तर पर एक चेक लिस्ट बनाया जा रहा है जिस मानक पर खड़ा उतरनेवाले बैंक को ही सरकारी राशि दी जाएगी। जैसे कि स्टेट बैंक लीड बैंक होते हुए भी इस मामले में उसका परफारमेंस खराब हो रहा है, प्रशासन ने तय किया है कि वहां से राशि निकाल ली जाएगी। ऐसे में बैंक अधिकारी के अस्तित्व का सवाल है। यह प्रयास अच्छा है लेकिन इसके साथ-साथ एनआरएलएम में जो बैंक ऋण देगी उससे एसएचजी लाभान्वित हों इसमें प्रोजेक्ट का जिम्मा संभाल रहे अधिकारी को भी सक्रिय होना होगा। प्रशासनिक स्तर पर उसकी उपादेयता पर संजीदा होना होगा। ताकि एसएचजी आगे बढ़े किसी भी सूरत में उसका एकाउंट एनपीए नहीं हो।

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देखिए लांग टर्म क्रेडिट प्लान करना होगा। इसमें कृषि आधारित कार्यों पर फोकस करना होगा। जलस्रोत, जमीन का समतलीकरण, डेरी, पशुपालन, मुर्गीपालन समेत अन्य योजनाओं पर काम करना होगा। अब तो प्रशासन इस बात को अंतिम रूप दे रहा है कि सीडी रेसियो के आधार पर ही बैंकों को सरकारी राशि विमुक्त की जाएगी।

बैजनाथ सिंह, डीडीएम नाबार्ड

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बैंक को मानसिकता बदलनी होगी। भरोसे के साथ स्वरोजगार की दिशा में कार्य करनेवाले या कर रहे लोगों से रिश्ता बनानी चाहिए। शक की नजर से देखते रहेंगे तो यह अनुपात धीरे-धीरे घटता जाएगा। केवल पर्सनल लोन पर ध्यान देते हैं।

प्रदीप बाजला, पूर्व अध्यक्ष संताल परगना चैंबर

बैंकों के सीडी रेसियो पर एक नजर

बैंक रेसियो

स्टेट बैंक 30.27

आंध्रा बैंक 10.45

देना बैंक 29.95

बीआफमहा. 11:36

यूको बैंक 26.80

पीएनबी 33.86

एचडीएफसी 32.71

यूनियन बैंक 13.72

केनरा बैंक 13.05

सेंट्रल बैंक 21.04

आइसीआइसी 11.27

ओबीसी 34.00

आइडीबीआइ 10.97

यूनाइटेड बैंक 24.54


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