शौचालय पर पहरा, ननि की उदासीनता ने बढ़ाई मुश्किल
देवघर : घर-घर में शौचालय की बात देश के प्रधानमंत्री कह रहे हैं, लेकिन हैरत की बात यह है कि विद्यालयों में शौचालय है तो इसकी साफ-सफाई व रखरखाव कैसे किया जाए, इसकी कोई व्यवस्था नहीं है।
शौचालय बनाकर पल्ला झाड़ लिया गया है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है कि साफ-सफाई व रखरखाव के लिए न तो कोई प्रबंध और नहीं किसी तरह का कोई कोष है। प्रधानाध्यापक अपने विवेक से साफ-सफाई कराते हैं। विद्यालय विकास कोष में भी इतनी राशि नहीं रहती है कि पूरे साल इससे साफ-सफाई की जा सके। क्योंकि इस कोष से अन्य कई तरह के कायरें का निष्पादन करना होता है। ऐसे में विद्यालयों में बने शौचालय में साफ-सफाई की उम्मीद पूरी तरह से प्रधानाध्यापक के विवेक पर ही निर्भर करता है।
दृश्य एक
स्थान - आर मित्रा प्लस टू विद्यालय
शौचालय की स्थिति - इस ऐतिहासिक विद्यालय में चार जगह शौचालय है। सबसे पुराना शौचालय बेकार हो चुका है। नए भवन में बने शौचालय का उपयोग विद्यालय की शिक्षिकाएं व छात्राएं करती हैं। शेष दो जगहों पर अगल-बगल शौचालय की स्थिति काफी दयनीय है। इसका उपयोग छात्र करते हैं। एक में तो इतनी गंदगी है कि खड़ा रहना मुश्किल है, इसके दरवाजे भी उखड़ चुके हैं। इसके बगल में दूसरा दो साल पूर्व बना है, इसके निर्माण में टाइल्स का भी उपयोग किया गया है, लेकिन सफाई का अभाव है। आसपास जंगल-झाड़ भी उग आए हैं।
विद्यालय प्रबंधन इसके हर समय खुले रहने की बात कहता है लेकिन जिस समय जागरण टीम ने इसे देखने की इच्छा जाहिर की तो इसका ताला खोलकर दिखाया गया। हालांकि साफ-सफाई के लिए मजदूर लगे थे तथा विद्यालय प्रबंधन का कहना था कि मजदूरों से यहां का भी जंगल-झाड़ साफ कराया जाएगा।
दृश्य दो
स्थान - राजकीयकृत मध्य विद्यालय कोरियासा
शौचालय की स्थिति - छोटे से जगह में दो मंजिला भवन में यह विद्यालय संचालित होता है। लेकिन यहां मध्याह्न भोजन की रसोई व शौचालय बिल्कुल अगल-बगल है। भोजन बनाने के लिए रखा गया कोयला भी शौचालय के बगल में ही था। पानी की समुचित व्यवस्था थी तथा शौचालय के निर्माण में टाइल्स का प्रयोग किया गया है। सफाई का अभाव दिखा।
क्या कहती हैं छात्राएं
साजिया खातून, रोशनी व संजना कुमारी सहित अन्य छात्राओं का कहना था कि रसोई के बगल में शौचालय उचित नहीं है। ऐसा वह अपने घर में कभी नहीं होने देंगी। संजना ने तो कहा कि वह स्कूल का भोजन नहीं करती है। कारण पूछे जाने पर कहा कि बीमार चल रही है और घरवालों ने स्कूल में खाना खाने से मना किया है।
सावन में पुलिस बल के जवान यहां ठहरे हुए थे। इस कारण शौचालय गंदा लग रहा है। नगर निगम को सफाई के लिए पत्र लिखे 15 दिन हो गया लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। मजदूर लगाकर जंगल-झाड़ साफ किया जा रहा है। वैसे हर 15 दिन में शौचालय की सफाई कराई जाती है, इसके लिए कोष का कोई प्रावधान नहीं, इसलिए कई बार जेब से भी पैसे लगाने पड़ते है। छात्रों के लिए शौचालय में ताला नहीं लगाया जाता है।
वीरभद्र पांडे, प्रधानाध्यापक, आर मित्रा प्लस टू विद्यालय
जगह के अभाव के कारण शौचालय व एमडीएम का किचेन अगल-बगल बनवाना पड़ा। पानी निकलने की व्यवस्था पूरी तरह से अंडर ग्राउंड है, इसलिए रसोई घर पर इसका कोई प्रभाव नहीं है। साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखा जाता है। सावन में पुलिस बल के जवान ठहरे हुए थे। नगर निगम की ओर से नियमित रूप से सफाई कराई जाती है, लेकिन इधर चार सप्ताह से निगम का कोई कर्मी नहीं आया है। इसलिए यह स्थिति बनी हुई है। शौचालय साफ-सफाई व रखरखाव के मद में कोष की व्यवस्था होनी चाहिए।
नागेश्वर दास, प्रधानाध्यापक, राजकीयकृत मवि, कोरियासा