यहां सिर्फ परीक्षा देने आती छात्राएं
करौं (देवघर) : यह आधी आबादी को शिक्षित बनाने के उद्देश्य पर सवालिया निशान लगाती है। बालिका शिक्षा को ध्यान में रखकर सभी प्रखंड में प्रोजेक्ट कन्या उवि की स्थापना की गयी। मगर सरकार की इस मंशा पर पानी फिरता नजर आ रहा है। अधिकांश विद्यालयों में शिक्षकों की घोर कमी है। इसका सीधा असर बच्चियों की शिक्षा पर पड़ रहा है। कहा जाता है कि बच्चों की प्रथम अध्यापक उसकी मां होती है। लेकिन बिना पढ़े भविष्य की नारी कैसे प्रथम अध्यापक बनेंगी इसका जवाब किसी के पास नहीं है।
जिले के करौं प्रखंड कार्यालय से समीप स्थापित प्रोजेक्ट कन्या उच्च विद्यालय की स्थिति को देखकर समझा जा सकता है कि सरकार और शिक्षा विभाग बालिका शिक्षा के बीच कितनी गंभीर है।
एक प्रतिनियोजित शिक्षिका के भरोसे विद्यालय
इस विद्यालय में एक प्रधानाध्यापिका समेत शिक्षिकाओं के 12 पद हैं। यहां एक भी स्थायी शिक्षक नियुक्त नहीं है। विद्यालय में नामांकित छात्राओं की संख्या 390 है। अभिभावक द्वारा हंगामा करने पर यहां एक शिक्षिका का प्रतिनियोजन किया गया। इनके द्वारा सभी छात्राओं को पढ़ाना समझ से परे है। आलम यह है कि सिर्फ छात्राएं यहां परीक्षा देने के लिए ही आती हैं। वहीं विद्यालय में संसाधनों की घोर कमी है। भवन जर्जर हो चुका है तो बारिश में छत से पानी टपकता रहता है। बेंच-डेस्क के अभाव में छात्राएं जमीन पर बैठकर परीक्षा देती हैं। यहां एक अनुसेवक और एक सहायक कार्यरत हैं, जिनमें से सहायक की प्रतिनियुक्ति जिला में है।
अभिभावकों ने कहा
समाजसेवी कन्हैयालाल राय, शिक्षाविद् परमानंद राय, प्रो. परिमल सिंह, अशोक कुमार सिंह, मुखिया अभिजीत बल, हीरालाल राय, ललन सिंह आदि ने विद्यालय की वर्तमान स्थिति पर चिंता जतायी है। कहा कि अगर सरकार शिक्षक नहीं दे सकती तो ऐसे विद्यालय को बंद कर देना चाहिए। विद्यालय अपने स्थापना काल से ही उपेक्षा का शिकार बना हुआ है। ------------------
विद्यालय की स्थिति के बारे में कई बार जिले के अधिकारियों को अवगत कराया जा चुका है। शिक्षिकाओं की कमी के कारण पठन-पाठन बाधित है।
सुनील लच्छीरामका
प्रभारी प्रधानाध्यापक