अस्तित्व बचाने को संघर्षरत विद्यालय
करौं (देवघर) : सरकार प्राथमिक शिक्षा में सुधार की विभिन्न योजनाओं के तहत करोड़ों की राशि खर्च कर रही है। मकसद है कि प्राथमिक शिक्षा के स्तर में सुधार लाकर बच्चों के लिए गुणवत्तायुक्त पठन-पाठन की व्यवस्था की जाए। बावजूद सरकारी व्यवस्था इसमें सुधार के संकेत नहीं दे रही है। आलम यह है कि कई विद्यालय अपनी पहचान बचाने को संघर्षरत हैं। विद्यालयों में बच्चों का नामांकन व उपस्थिति बढ़ाने के लिए एमडीएम, पोशाक, छात्रवृत्ति समेत अन्य सुविधाएं दी जा रही हैं। सरकारी विद्यालयों की स्थिति के लिए यह नाकाफी साबित हो रहा है। अभिभावक अपने बच्चों के लिए निजी विद्यालयों को तरजीह दे रहे हैं। प्रखंड में 144 सरकारी विद्यालयों में 46 मवि व 98 प्रावि हैं। प्रखंड के राजकीय प्राथमिक विद्यालय कमलकरडीह और प्रावि रान्हा को देखकर स्थिति का सहज अंदाजा लगाया जा सकता है।
केस स्टडी एक
राजकीय प्रावि कमलकरडीह में 36 बच्चों का नामांकन है और इन्हें पढ़ाने के लिए एक-एक सरकारी व पारा शिक्षक कार्यरत हैं। सरकार द्वारा संचालित विभिन्न सुविधाओं का लाभ यहां के बच्चों को मिल रहा है। बावजूद इसके उपस्थिति नहीं बढ़ रही है। प्रभारी प्रधानाध्यापक मिहिर कुमार दत्त का कहना है कि इस गांव के अधिकांश बच्चे का विद्यालय में नामांकन है। कुछ बच्चे निजी विद्यालय में पढ़ रहे हैं।
केस स्टडी दो
अब बात की जाए राजकीय प्रावि रान्हा की। यहां महज 20 बच्चे नामांकित हैं और इन्हें शिक्षा देने के लिए एक-एक सरकारी व पारा शिक्षक कार्यरत हैं। बच्चों के लिए छह कमरे का दो मंजिला भवन बनाया गया है। लेकिन बच्चों की दैनिक उपस्थिति मात्र 10 से 12 ही रहती है। यहां नियमित रूप से एमडीएम का संचालन होता है। बच्चों को अन्य सरकारी योजनाओं का भी लाभ दिया जाता है। बच्चों के कम नामांकन के बारे में प्रभारी प्रधानाध्यापक डेविड टुडू का कहना है कि इस गांव में 15 घर हैं। एक किमी के दायरे में चार विद्यालय संचालित हो रहे हैं। यहां से पांच सौ मीटर की दूरी पर उप्रावि सियाकनारी, उमवि सिरियां व राजकीय प्रावि कमलकरडीह है। इस कारण बच्चों का कम नामांकन होता है।
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शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत हर गांव में विद्यालय की स्थापना की जानी है। इन दो विद्यालयों में शत-प्रतिशत उपस्थिति क्यों नहीं है, इसकी जांच होगी। बाल पंजी के अनुसार नामांकन के बारे में पता करके कार्रवाई की जाएगी।
देवेंद्र राय
बीईईओ