श्रावणी मेला से संबंधित
देवघर : भारतीय सांस्कृतिक विरासत अपने आप में अमूल्य है। ऐसा न होता तो कोई भी दूसरे देश का व्यक्ति यहां की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को जानने के लिए संजीदा न होता। हमने अपनी आस्था की डोर से मजहबी एकता को न सिर्फ मजबूती दी है बल्कि यह हौसला दिया है कि यह इमारत और बुलंद ही होती जाए। सभी धर्म संप्रदाय के लोग अपने मुतल्लिक श्रद्धा प्रकट करते हैं।
श्रावण मास में एक ओर जहां कांवरियों का सैलाब बाबाधाम पहुंच रहा है। वहीं माह-ए-रमजान भी विदा होने को है। शिवभक्त अपने आराध्य महादेव की आराधना में लीन हैं तो दूसरी ओर नमाजी अल्लाह से खैरियत व समृद्धि की दुआ मांग रहे हैं। शिव भक्ति और दुआओं का दौर जारी है।
भले ही मजहब अलग-अलग हैं, लेकिन मंजिल एक ही है अपनी और सबकी सलामती, अमन-चैन व तरक्की। श्रावण मास की तीसरी सोमवारी आज है और भक्तों की आस्था अपने परवान पर है। ईद पर्व 29 को होने की उम्मीद जताई जा रही है। हालांकि यह अभी तक स्पष्ट नहीं हो सका है। लेकिन ईद की खुशियों की सौगात लेकर आने ही वाला है। सभी अपने-अपने हिसाब से इबादत और प्रार्थना में जुटे हुए हैं।
भारतीय संस्कृति में श्रावण माह का विशेष महत्व है। इसमें सोमवार सर्वाधिक खास दिन होता है। इस दिन भक्त उपवास रखकर पूजा-अर्चना करते हैं। रमजान माह में पूरे तीस दिनों तक रोजा रखकर अकीदतमंद बुरे कर्मो की माफी मांगते हैं। इस दौरान नेमत बरसती है। श्रावण सोमवारी के बाद ईद के होने की संभावना है। सांप्रदायिक सौहार्द के मद्देनजर यह संयोग अपने आप में बेशकीमती है। बाबा नगरी में तो इसका अलग ही अलौकिक रूप देखा जा सकता है। कह सकते हैं कि आस्था की डोर ने मजहबी एकता के धागे को और मजबूत कर दिया है। शिव भक्त और अकीदतमंदों को उम्मीद है कि यह डोर समय गुजरने के साथ और मजबूत होगी।