सरस कुंज के आंगन में स्नेह का सावन
देवघर : जोड़ियां तो ऊपरवाले के हाथ से बनती है। विधाता ही तय करता है कि कौन कब किसका जीवनसाथी बनेगा। सरसकुंज के आंगन में दृष्टिबाधित बच्चों का स्कूल संचालित है जिसका नाम है स्नेह। घरवालों से ठुकरायी गयी सावित्री इसी आंगन में रह रही थी। स्नेह के पांच बच्चे दिल्ली में पढ़ाई करने गए थे उनलोगों ने ही सावित्री का रिश्ता तय किया। मोमबत्ती फैक्ट्री में काम करनेवाला दिल्ली यूनिवर्सिटी से एमए पास अनुज पांडेय से मंगलवार की रात सरस कुंज के आंगन में शादी हुई।
स्नेह के समन्वयक संजय उपाध्याय कहते हैं कि करनीबाग की रहनेवाली सावित्री 2005 में सबसे पहले स्नेह आयी। यहां से पढ़ाई पूरी करने के बाद उसका भाई वापस घर ले गया। लेकिन वहां वह ठीक से नहीं रह रही थी, यह मामला थाना तक भी पहुंचा था। दो महीना पूर्व वह दुबारा सरसकुंज आ गयी, तो उसे रख लिया गया। स्नेह में पढ़ाई करनेवाला रतन, वासुदेव समेत पांच लड़के तालीम लेने दिल्ली के पहाड़गंज हॉस्टल गए। दोनों ने इसी साल सीबीएसई से मैट्रिक किया है। इसी हॉस्टल में डाल्टनगंज का अजय कुमार पांडेय दिल्ली यूनिवर्सिटी से स्नातक की पढ़ाई पूरी कर एक मोमबत्ती फैक्ट्री में पैकिंग का काम कर रहा है। रतन एवं वासुदेव ने इस लड़के के बारे में स्नेह स्कूल के टीचर विकास को बताया, तो शादी की बात करने को कहा गया। अजय राजी हो गया। दोनों लड़के भी दिल्ली से साथ आए, धूमधाम से शादी हुई सुबह दिल्ली के लिए विदा हो गए। संजय उपाध्याय की इसमें बड़ी भूमिका रही जिसने एक अभिभावक की भूमिका निभाई। डॉ. मनोज भी पूरी रात समारोह में रहे।