बांग्ला नववर्ष के स्वागत में सांस्कृतिक संध्या
देवघर : बांग्ला नववर्ष के स्वागत में हंसध्वनि कलाकेंद्र द्वारा स्वप्न निकेतन में बांग्ला लोक संस्कृति पर आधारित सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया गया। इसमें कलाकारों ने अपना जलवा बिखेरा। इसके पूर्व बीते वर्ष की विदाई और नववर्ष का स्वागत किया गया। केंद्राधीक्षक विश्वनाथ बनर्जी ने कहा कि आज का दिन पावस का दिन है। पंजाब सहित कई प्रदेशों में इसे बैसाखी के रूप में मनाया जाता है। बंगाल में भी धूमधाम से पर्व मनाया जाता है। सभी की मंगलकामना की जाती है। कहा कि लोक संस्कृति मानव जीवन का अभिन्न अंग है, जो जन्म से मृत्यु तक जुड़ा रहता है। इस अवसर पर गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर की बाउल धुन पर आधारित कार्यक्रम प्रारंभ किया गया। इसमें तमन्ना, प्रियंका, उर्मी ने गीत गाया। छोटे-छोटे बच्चों ने भी लोक गीत प्रस्तुत किया। सुषमी, तमालिका, सांगोरिका ने मनमोहक आदिवासी नृत्य प्रस्तुत किया। प्रसून, रामदत्त गुहा, स्मृति किरण ने रवींद्र कविता का पाठ किया। हास्य व्यंग्य कविता वीरेश वर्मा, मौसमी पालित, पार्थो, प्रदीप चक्रवर्ती ने किया। आनंद मोहन, चंदन चटर्जी ने बंगला झूमर प्रस्तुत किया। इस अवसर पर डॉ. सुप्रकाश पालित ने भी कविता सुनाए। लघु कहानी पर नाटक देवाशीष व महुआ राय तथा हास्य नाटिका पर लोगों को लोटपोट कराया। मौके पर हरिशंकर वर्मन, प्रियंका मजूमदार, पंकज मुखर्जी, मनोरंजन राणा, तन्मय बनर्जी आदि उपस्थित थे।