पंडित जोशी के बांसुरी की तान ने किया मदहोश
वरीय संवाददाता, देवघर : झारखंड में जन्मे पंडित चेतन जोशी ऐसे विलक्षण बांसुरीवादक हैं जिन्हें दुनियां जानती है। कई सम्मान से नवाजे जा चुके जोशी ने शुक्रवार की शाम केके स्टेडियम में बांसुरी की ऐसी तान छेड़ी कि लोग मदहोश हो गए।
शिव की नगरी में शक्ति को समर्पित शाम की शुरुआत राग दुर्गा से हुई। पिछली दफा जब देवघर आए थे तो भगवान शंकर को समर्पित किया था। पंडित जोशी ने अलाप, जोर, झाला के बाद जब रूपक ताल में गत बजाया तो शरद ऋतु की रात खनकने लगी। पंडाल में बैठे रसिक श्रोता को कन्हैया की याद आने लगी। उसके बाद तीन ताल में गत बजाया।
चेतन जोशी एक ऐसे बांसुरी वादक हैं जो तानों का विशेष प्रयोग करते हैं। फिरत की तान पर मुरली की ऐसी सुर लगी कि लोग अपलक जोशी को निहारते रहे।
इससे पूर्व जागरण से बातचीत के क्रम में कलाकार ने कहा कि पिछले महीने आगरा संगीत कला केंद्र द्वारा संगीत कला गौरव सम्मान मिला। हालांकि इनके नाम कई सम्मान हैं, 1992 में मुंबई सुर श्रृंगार संसद की ओर से सुरमणि की उपाधि दी गयी थी। 2005 में झारखंड सरकार के कला संस्कृति विभाग की ओर से राजकीय सांस्कृतिक सम्मान से नवाजा गया।
बात अप्रैल 1982 की है जब अपने गुरु स्व. आचार्य जगदीश जो बोकारो में ही थे से संगीत सीखना शुरू किया। सरगम समझने के महज छह महीने बाद ही अखिल भारतीय संगीत प्रतियोगिता इलाहाबाद में कार्यक्रम करने का अवसर मिला और पुरस्कार जीत कर लौटे। चेतन जोशी ने कहा कि यह उनके सफर का टर्निग प्वाइंट साबित हुआ क्योंकि उन्हें इस बात का अहसास हो गया कि उन्हें मंजिल मिल चुकी है। श्रोता जब किसी गाने की धुन बजाने को कहते हैं तो वह इसे इसलिए नकार देते हैं क्योंकि वह खुद धुन बनाते हैं। भजनों का संग्रह सदाफल वाणी, रागों की सीडी संयोग में संगीत निर्देशन किया है।
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