पाताल गया कुआं, हांफ रहा हैंडपंप
पत्थलगडा : रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून, पानी गए न ऊबरे, मोती मानुष चून। जी हां ! रहिमन जी यह द
पत्थलगडा : रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून, पानी गए न ऊबरे, मोती मानुष चून। जी हां ! रहिमन जी यह दोहा गर्मी की ताप बढ़ते ही पत्थलगडा में सच साबित होने लगा है। लोग बूंद-बूंद पानी के लिए भटक रहे हैं। गर्मी की रफ्तार बढ़ते ही यहां जल संकट गहराने लगा है। आम से लेकर खास सभी पीने के पानी को लेकर काफी ¨चतित हैं। कई जगह तो लोग बूंद-बूंद के पानी के लिए तरस रहे हैं। गर्मी का मौसम परवान चढ़ती है लोगों का कंठ सूखने लगा है। वहीं जीव-जंतु प्यास के मारे इधर उधर भटक रहे हैं। ऐसी स्थिति में कई जंगली जानवर ग्रामीणों का शिकार भी बन रहे हैं। जंगलों में स्थित नदी, नाले सभी सूख चुके हैं। गांव में लगे कुओं का जलस्तर पताल चला गया है, तो हैंडपंप भी डेड हो रहे हैं। कई ठीक भी हैं तो एकाध बाल्टी पानी निकलने के बाद हाफने लगता है।
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सुख गई बाकुलिया नदी, ताल-तलैये हुए विरान
प्रखंड का लाइफ लाइन कही जाने वाली बकुलिया नदी सुख कर रेगिस्तान में तब्दील हो चुकी है। नदी पर आश्रित लोग पानी के लिए भटक रहे हैं। किसानों का फसल मारे जा रहा है। इसी तरह डमौल की बुद्ध नदी, तेतरिया व नोनगांव की ढाब नदी, समेत बरवाडीह, चौथा, बेलहर नावाडीह आदि गावों की नदियां भी सुख गई हैं। गांवों कस्बों में बसे ताल-तलैये सभी सुख कर बिरान हो गये हैं। इस गर्मी के मौसम में यहां नदियों व ताल-तलैये के सुख जाने से गर्मा फसले ज्यादा प्रभावित हो रही हैं। वहीं जीव-जंतु के अपनी प्यास पर भी आफत आ गई। नदियों के सूख जाने से सभी परेशान हैं। वही पटवन के अभाव में किसानो के फसल मारे जा रहे हैं।
एक हैंडपंप बुझाता है 300 परिवारों का प्यास
प्रखंड के नावाडीह पंचायत अंतर्गत मारंगा एवं भेलवाड़ा गांव में पेयजल की घोर संकट उत्पन्न हो गई है। मरंगा में 300 लोग एक हैंडपंप पर निर्भर हैं। यहां पानी भरने को लेकर ग्रामीणों को सुबह से ही हैंडपंप पर लाइन लगाना पड़ता है। पीने के पानी को लेकर यहां दो अन्य चापाकल भी लगे हैं परंतु डेड हैं। मजबूरन उन्हें एक चापाकल से ही अपनी प्यास बुझानी पड़ रही है। यहां पानी का और कोई विकल्प नहीं है।
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सुबह चार बजे से लग जाती है लाइन
इसी प्रकार बरवाडीह में भी करीब 50 परिवार के लोग एकमात्र हैंडपंप से प्यास बुझाते हैं। गांव के युगल किशोर पांडेय के घर के पास लगा एक मात्र हैंडपंप से पूरे गांव के लोग प्यास बुझाते हैं। यहां पानी भरने के लिए सुबह चार बजे से लोगों की कतार लगने लगती है। चापानल की स्थिति भी खराब है। कई हैंडल पटकने के बाद हैंडपंप चापाकल से पानी निकलता है।
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किन-किन गांवों में है पानी की समस्या
प्रखंड के बरवाडीह, पीपल टोला, दुंबी, कोदवारी, सितलपुर, मरंगा, भेलवारा, ¨सघानी, डमौल, पत्थलगडा, लेम्बोईया, तेतरिया, नोनगांव, गोपीपुर, बंदरचुवां, मेराल, जोरी, खैरा आदि गांवों में पीने के पानी की घोर समस्या उत्पन्न हो गई है। कई गांव में तो लोग कुओं के गंदे पानी से ही प्यास बुझाने पर मजबूर हैं।
कोट
पत्थलगडा प्रखंड में पेयजल संकट की शिकायतें मिली है। समस्या के समाधान को लेकर हर संभव प्रयास किया जा रहा है। खराब हैंडपंपों की मरम्मत कराई जा रही है। आवश्यकता के अनुसार कुछ जगहों पर नए हैंडपंप भी लगाने की योजना है।
आशुतोष कुमार, कार्यपालक अभियंता, पेयजल एवं स्वच्छता प्रमंडल, चतरा।