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मंदिर प्रबंधन समिति ने दिया अल्टीमेटम

हटरगंज : प्रखंड के कौलेश्वरी पहाड़ पर करीब डेढ़ दर्जन अति प्राचीन पुरातात्विक अवशेषों की सांस्कृतिक ध

By JagranEdited By: Published: Sun, 26 Mar 2017 12:59 AM (IST)Updated: Sun, 26 Mar 2017 12:59 AM (IST)
मंदिर प्रबंधन समिति ने दिया अल्टीमेटम
मंदिर प्रबंधन समिति ने दिया अल्टीमेटम

हटरगंज : प्रखंड के कौलेश्वरी पहाड़ पर करीब डेढ़ दर्जन अति प्राचीन पुरातात्विक अवशेषों की सांस्कृतिक धरोहर है। कौलेश्वरी धाम सनातन, बौद्ध एवं जैन धर्म का समन्वय स्थल है। पुरातात्विक अवशेषों का अस्तित्व पुरातन इतिहास से जुड़ा है। कुछ पुरातात्विक अवशेषों पर तीनों धर्मो के मतावलंबियों की अपनी-अपनी आस्था व विश्वास है। अपने-अपने धर्म शास्त्र के मुताबिक उक्त पुरातात्विक अवशेषों की पूजा अर्चना करते है। इन्हीं पुरातात्विक अवशेषों में एक गुफा में निर्मित अति दुर्लभ पत्थर में ध्यानी मुद्रा की एक अति प्राचीन प्रतिमा है। इसके विषय में सनातन, बौद्ध व जैन धर्मावलंबियों की अपनी अपनी मान्यता व आस्था विश्वास है।

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सनातन धर्मावलंबी इसे बाबा भैरवनाथ, बौद्ध मतावलंबी इसे भगवान बुद्ध की ध्यानी मुद्रा और जैन धर्मावलंबी इसे अपने तीर्थकर भगवान पारसनाथ की तपोमुद्रा की मूर्ति होने का दावा करते हैं। इधर कुछ दिन से इस मूर्ति के अस्तित्व को लेकर कट्टर धर्म समर्थकों का एक समूह इस मूर्ति के साथ छेड़छाड़ और इसके स्वरूप परिवर्तन के कुचक्र में जुटा हुआ है। मंदिर प्रबंधन समिति के अध्यक्ष सह एसडीओ नंदकिशोर लाल ने बाबा भैरवनाथ की मूर्ति के साथ किसी भी प्रकार के छेड़छाड़ पर दोषियों के खिलाफ एफआइआर सहित अन्य दंडनात्मक कार्रवाई का अल्टीमेटम

दिया है।


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