नौकरी की मांग को ले युवक के किया खुदकुशी का प्रयास
टंडवा : बेरोजगारी और आर्थिक तंगी से गुजर रहे एनटीपीसी के विस्थापित एक युवक अरिवंद नायक ने गुरुवार
टंडवा : बेरोजगारी और आर्थिक तंगी से गुजर रहे एनटीपीसी के विस्थापित एक युवक अरिवंद नायक ने गुरुवार को प्लांट क्षेत्र के निर्माणधीन पचास फीट ऊंची ब्यालर पर चढ़कर आत्महत्या का प्रयास किया। कंपनी के कर्मियों ने इसकी सूचना एनटीपीसी प्रबंधक एवं सीआईएसएफ के अधिकारियों को दी। आनन-फानन में एनटीपीसी के एचआर प्रबंधक कुंदन किशोर व सीआईएसएफ के अधिकारी समुंद्र ¨सह ने ब्यालर के नीचे जाल बिछाकर युवक को नौकरी देने के आश्वासन के बाद सही सलामत उतारा । सूचना मिलने के बाद टंडवा थाना पुलिस घटनास्थल पर पहुंचकर युवक को अपने हिरासत में ले ली और उसे थाना ले आई। थाना प्रभारी एमएम ¨सह ने युवक से पूछताछ भी किया। प्रखंड के गडेरी गांव निवासी व एनटीपीसी से विस्थापित बालेश्वर नायक के पुत्र अर¨वद नायक पिछले छह माह से नौकरी की मांग को लेकर एनटीपीसी कार्यालय का चक्कर काट रहा था। जहां उसे सिर्फ आश्वासन ही मिल रहा था। गुरुवार को कई उम्मीदों को लेकर युवक नौकरी की मांग करने कार्यालय पहुंचा,जहां उसे अन्य दिनों के भांति आश्वासन ही मिला। जिससे क्षुब्ध होकर युवक प्लांट क्षेत्र में निर्माणधीन ब्यालर पर चढ़कर खुदकुशी कर लेने की बात कही और इसकी सारी जिम्मेवारी एनटीपीसी और भेल कंपनी को होने की बात कही। उसकी बातों को सुनकर कर्मियों ने इसकी सूचना अधिकारियों को दी। युवक का आरोप है कि रोजगार को लेकर प्रतीक्षा सूची में उसका नाम होने के बाद भी प्रबंधन द्वारा नौकरी नहीं दी जा रही थी। जिससे क्षुब्ध होकर खुदकुशी करने का मन बनाया। इस संबंध में एनटीपीसी के एचआर प्रबंधक कुंदन किशोर ने बताया कि प्रतीक्षा सूची के आधार पर रोजगार मुहैया कराने को लेकर भेल कंपनी को सूची सौंपी गई है। उन्होंने युवक को एक माह के भीतर रोजगार देने के आश्वासन के साथ दोषी कंपनी के विरूद्ध कार्रवाई करने की बात कही। इधर एनटीपीसी की सहायक कंपनी भेल के एजीएम विश्वनाथ तिर्की ने कहा कि कमेटी द्वारा अनुमोदित युवकों को रोजगार देने के लिए भेल कंपनी तत्पर है। उन्होंने कहा कि विस्थापित रैयत सिर्फ गार्ड की नौकरी की मांग करते हैं। जो कंपनी की आवश्यकता के विपरीत है। उन्होंने सिविल वर्क में कार्य करने को लेकर पांच सौ युवकों की आवश्यकता बताई। उन्होंने यह भी कहा कि विस्थापित युवक सिविल वर्क में काम नहीं करना चाहते हैं। जिससे रैयतों व प्रबंधन के बीच भी मुश्किलें बढ़ रही है।
क्या है मामला
एनटीपीसी से विस्थापित छह गांवों में पांच-पांच सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है। गठित कमेटी बेरोजगार युवकों कों रोजगार के लिए अनुमोदन करती है। जिसके आधार पर आवश्यकता के अनुरूप युवकों को एनटीपीसी के सहायक कंपनियों और संवेदकों के अंदर रोजगार मुहैया कराई जाती है। वहीं दूसरी तरफ युवकों व रैयतों का आरोप है कि अनुमोदित सूची के आधार पर रोजगार मुहैया कराने के बजाय अन्य दबाव में कंपनी बाहरी लोगों को रोजगार देती है। इससे रैयतों में आक्रोश है।