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लीड ::::: भारतीय संस्कृति के वाहक हैं तालाब

इटखोरी : तालाब सिर्फ पानी की जरूरतों को पूरा करने का माध्यम ही नहीं, बल्कि तालाब देश की प्राचीन सभ्य

By Edited By: Published: Mon, 30 May 2016 02:18 AM (IST)Updated: Mon, 30 May 2016 02:18 AM (IST)
लीड ::::: भारतीय संस्कृति के वाहक हैं तालाब

इटखोरी : तालाब सिर्फ पानी की जरूरतों को पूरा करने का माध्यम ही नहीं, बल्कि तालाब देश की प्राचीन सभ्यता व संस्कृति के वाहक हैं। तालाबों के किनारे देश की सद्भावना मजबूत होती है। लिहाजा अपने प्राचीन तालाबों को बचाने की मुहिम चलानी होगी। ये बातें रविवार को स्थानीय सांसद सुनील कुमार ¨सह ने इटखोरी में कही। सांसद यहां के एक प्राचीन तालाब टाल का निरीक्षण करने पहुंचे थे।

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उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि प्राचीन तालाबों को फिर से पुनर्जीवित किया जाए। इसमें सरकार के साथ जन भागीदारी भी सुनिश्चित करनी पड़ेगी। तभी तालाबों का अस्तित्व बच पाएगा। उन्होंने तालाबो के निर्माण के उद्देश्य पर अपना विचार रखा। कहा, प्राचीन काल में तालाबों का निर्माण ऐसे स्थानों पर होता था, जहां चारों ओर से बरसात के पानी के आने का स्त्रोत रहता था। ग्रामीण तालाबों में पानी के स्त्रोत को कभी बाधित नहीं करते थे। आज भी ऐसे तालाब बड़ी संख्या में हैं। जो भीषण से भीषण गर्मी में भी नहीं सूखते हैं। इसकी वजह है कि तालाबों के पानी के स्त्रोत को बाधित नहीं किया गया है। लेकिन वर्तमान समय में सरकार के साथ लोगों का भी तालाबों से मोह भंग हुआ है।

यही वजह है कि कहीं अतिक्रमण करके तालाबों को नष्ट किया जा रहा है, तो कहीं तालाबों के पानी के स्त्रोत को ही बंद कर दिया जा रहा है। इस बात को लोगों को गंभीरता से सोचना पड़ेगा। उन्होंने इटखोरी तालाब के जीर्णोद्धार की बात करते हुए कहा कि डीवीसी से इस विषय पर चर्चा की जाएगी। डीवीसी कम खर्च में पुराने तालाबों को बड़े सलीके से पुनर्जीवित करता है। तीन से चार लाख रुपए में ऐसे तालबों का निर्माण डीवीसी कर रहा है, जिसमें अथाह पानी का संग्रह हो रहा है।

सांसद ने बेतरतीब तरीके से बनाए जा रहे तालाबों पर भी नाराजगी प्रकट की। कहा कि सरकारी राशि को सिर्फ खर्च करने के उद्देश्य से टांड़ में भी तालाबों का निर्माण कर दिया जा रहा है, जो किसी काम का नहीं है। राशि का उपयोग पुराने तालाबों में करने की आवश्यकता है।

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बाउली आहर के जीर्णोद्धार की रखी मांग

भाजपा नेता सच्चिदानंद प्रसाद ने धुना गांव के बाउली आहर के जीर्णोद्धार की मांग सांसद के समक्ष रखी। भाजपा नेता ने सांसद को बताया कि कई दशक पहले निर्मित बाउली आहर का पानी कभी नहीं सुख्ता है। अगर इस तालाब का जीर्णोद्धार कर दिया जाए तो जल संचयन के साथ धुना गांव में ¨सचाई का भी एक बड़ा साधन स्थापित हो जाएगा। सांसद ने आश्वासन दिया कि बाउली आहर के जीर्णोद्धार पर भी विचार किया जाएगा।


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