स्वाइन फ्लू हुआ तो भगवान ही मालिक
चतरा: स्वाइन फ्लू नामक वायरल बीमारी चारो ओर कहर बरपा रही है। परंतु जिले में अगर किसी को यह बीमारी ह
चतरा: स्वाइन फ्लू नामक वायरल बीमारी चारो ओर कहर बरपा रही है। परंतु जिले में अगर किसी को यह बीमारी हो गई तो इससे बचने के लिए सदर अस्पताल में किसी प्रकार की व्यवस्था नहीं है। यहां बीमार मरीजों के जांच के लिए प्रयोगशाला की व्यवस्था तक नहीं है। खाने के लिए टिमीफ्लू दवा एवं नाक पर लगाने के लिए टिशू मास्क तो दूर की बात है। हालांकि अब तक जिले में स्वाइन फ्लू के मरीज नहीं मिले हैं परंतु अगर कोई मरीज को यह हो जाए तो उसका भगवान ही मालिक है। हालांकि स्वाइन फ्लू के मरीजों के लिए सदर अस्पताल में आइसोलेशन वार्ड बना दिया गया है। परंतु यह पुरूष वार्ड से सटा हुआ है। नियमत: यह वार्ड बीमार मरीजों व अन्य लोगों से कम से कम एक मीटर की दूरी पर होना चाहिए। परंतु पुरुष वार्ड से सटे होने के कारण अन्य मरीजों के लिए घातक साबित हो सकता है।
स्वाइन फ्लू के लक्षण
इसके चपेट में आने वाले व्यक्ति की तबीयत महज तीन चार घंटे में खराब हो जाती है। इसके अलावा मरीज को सर्दी, खासी, बदन दर्द, सिर दर्द, 101 डिग्री बुखार होना, छींक आना, कम भूख लगना, उल्टियां आना, दस्त होना, सांस लेने में परेशानी होना, थकान होना, छाती में दर्द होना शामिल है।
किस-किस चीज से करें परहेज
ठंड से बचना चाहिए, गर्म कपड़े पहनना चाहिए, इसके चपेट में आए व्यक्ति से कम से कम एक मीटर की दूरी रखनी चाहिए, भीड़ भाड़ वाले जगह में जाने से बचना चाहिए, अधिक से अधिक मास्क का प्रयोग करना चाहिए, सुअर बाड़ा को पब्लिक एरिया से दूर रखना चाहिए। इसके लिए दूसरे प्रदेशों से आने वाले आगंतुकों से परहेज करना चाहिए।
बचने के उपाय
आयुर्वेद में इस बीमारी से बचने के लिए देशी कपूर व छोटी इलायची को पांच-पांच ग्राम बराबर मात्रा में कूट कर सूती के कपड़े में बांधकर पोटली बनाकर पास रखना तथा प्रत्येक एक घंटे पर इसे सुंघना चाहिए। ऐसा करने से स्वाइन फ्लू के कीटाणु मर जाते हैं। वहीं एलोपैथ में इसके लिए टिशू मास्क लगाना चाहिए, टेमीफ्लू नामक दवा लेना कारगर होता है। इसके अलावा मुंह व नाम पर रूमाल या तौलिया का उपयोग करना।
अधिकारी वर्जन
स्वाइन फ्लू से बचने के लिए फिलहाल सदर अस्पताल में दवा आदि उपलब्ध नहीं है। परंतु एक सप्ताह में राज्य से दवा उपलब्ध करा दिया जाएगा। फिलहाल बीमारी से बचने के लिए लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया जा रहा है।
डा. एस पी सिंह
सिविल सर्जन, चतरा।