दवा बड़ी या दुआ, हो रही परीक्षा
हंटरगंज : आधुनिक परिवेश और वैज्ञानिक चमत्कार के युग में भी गांवों के भोले-भाले व अशिक्षित लोग डाक
हंटरगंज : आधुनिक परिवेश और वैज्ञानिक चमत्कार के युग में भी गांवों के भोले-भाले व अशिक्षित लोग डाक्टर से अधिक ओझा-गुणी पर विश्वास कर रहे हैं। चाहे इसके लिए जो भी कीमत चुकानी पड़ रही हो, लेकिन अंधविश्वास का दामन नहीं छोड़ रहे हैं। इसकी एक बानगी प्रखंड के खुंटीकेवाल गांव में शनिवार को दिखाने। गांव के सुंदर प्रजापति की करीब साठ वर्षीय पत्नी गौरी देवी चालीस घंटों से अचेत है। डाक्टरों के मुताबिक उसे ब्रेन हेम्ब्रेज हो गया है और वह कोमा में है। उसके बचने की आशा नहीं के बराबर है। वहीं गांव का ओझा भगत मुसहर ने परिजनों को जादू टोना की बात बताकर विश्वास में ले लिया है। परिजन डाक्टरों पर भरोसा छोड़ गौरी की झाड़-फूंक करा रहे हैं। ओझा के दरबार में परिजन गौरी के होश में आने की बाट जोह रहे हैं। परंतु खबर लिखे जाने तक गौरी अचेत है।
कैसे हुई बेहोश
गौरी देवी के परिजनों ने बताया दीवाली की सुबह ध्यान स्नान व पूजा पाठ कर बकरी बांधने गई थी, जहां वह गिर गई और अचेत हो गई। गौरी देवी को क्या हुआ, इसकी जानकारी परिवार के किसी सदस्य को नहीं है। इन्हें विश्वास है कि गौरी देवी को किसी जहरीले सांप ने काट लिया है। गौरी का प्राथमिक उपचार स्थानीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में हुआ। चिकित्सक ने सांप कांटने से इंकार करते हुए उसका रक्तचाप काफी बढ़ जाने और इसके दबाव से गौरी को कोमा में चले जाने की बात बताई गई। स्थिति गंभीर रहने के कारण उसे गया रेफर कर दिया गया। गया में भी डाक्टरों ने बचने की आशा छिन्न बताते हुए उसके नहीं बचने की इस बात की पुष्टि की। परिजन उसे घर ले आए और झाड़ फूंक करा रहे हैं।