नक्सल पैकेज : झुमरा से नक्सलियों के नहीं उखड़ रहे पांव
बेरमो : करीब चार दशक से भाकपा माओवादियों का गढ़ रहा झुमरा पहाड़ संघर्ष और बलिदान के शताधिक हादसे का ग
बेरमो : करीब चार दशक से भाकपा माओवादियों का गढ़ रहा झुमरा पहाड़ संघर्ष और बलिदान के शताधिक हादसे का गवाह रहा है। गोमिया प्रखंड की 14 पंचायत के करीब 34 गांव घनघोर रूप से नक्सल प्रभावित माना जाता है। यहां नक्सलियों की पैठ अब भी गहरी है। राज्य प्रशासन ने झुमरा एक्शन प्लान के तहत इन 34 गांवों का कायाकल्प करने के लिए व्यापक कार्ययोजना तैयार कर विकास योजनाओं को धरातल पर उतारने की तैयारी की है। पुलिस की लगातार सक्रियता से झुमरा के हालात भी बदले है परन्तु झुमरा से नक्सलियों को खदेड़ना राज्य प्रशासन के लिए लोहे के चने चबाने जैसा है। कदम कदम पर खतरा और अनिश्चय का माहौल।
दुर्गम भौगोलिक परिस्थितियों के कारण यहां सीआरपीएफ की 26 वीं बटालियन के लिए एंटी नक्सल मूवमेंट चलाना चुनौती भरा कार्य है। बावजूद इसके पुलिस पूरी मुस्तैदी से डटी हुई है और लगातार नक्सलियों पर दबिश बनाने में सफल रही है। हालांकि मंगलवार से लेकर शुक्रवार की रात तक की घटना ने पुलिस प्रशासन की मुश्किलें बढ़ा दी है। पहले सर्च ऑपरेशन के दौरान काशीटांड़ और कोयाटांड़ में सीआरपीएफ जवानों पर सीरियल बम ब्लास्ट से हमला फिर मुठभेड़ और उसके दूसरे दिन ही डुमरी विहार रेलवे स्टेशन में आगजनी और शुक्रवार की रात को चतरोचट्टी पंचायत के तिस्कोपी में कथित एसपीओ की गोली मार कर हत्या कर माओवादियों ने झुमरा के अमन चैन को झकझोर दिया है।
निशाने पर रेल ट्रैक और पुलिस मुखबिर :
सीआइसी सेक्शन में चंद्रपुरा से लातेहार-गढवा रेलवे स्टेशन तक करीब 250 किमी का दायरा नक्सल प्रभावित क्षेत्र में आता है। राज्य गठन के बाद अब तक 24 बार रेल पटरियों को विस्फोट कर क्षति पहुंचाई गई है। गोमिया से लेकर जगेश्वर विहार रेलवे स्टेशन तक रेल पटरियां घनघोर जंगल लुगू एवं जिलगा पहाड़ से होकर गुजरती है जो लगभग 30 किमी के दायरे में है। यह क्षेत्र झुमरा और रामगढ़ से सटा है। यहां सुरक्षा बलों के लिए दिन में भी पेट्रो¨लग करना आसान नहीं है। रेल परिसंपत्तियों के अलावा झुमरा क्षेत्र में पुलिस मुखबिरी के आरोप में अबतक 9 परिवारों को तबाह किया गया। शुक्रवार को पुलिस मुखबिरी के आरोप ने नक्सलियों ने तिस्कोपी के कालीचरण महतो को गोली मार कर उसकी हत्या कर दी। इससे पहले अलग अलग घटना में झुमरा क्षेत्र के आठ लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा है।
बीते 23 मई को धनबाद रेलमंडल के सीआइसी सेक्शन में डुमरी-विहार एवं दनिया स्टेशन के बीच पोल संख्या 58/8/9/10 में लगभग डेढ़ सौ मीटर की दूरी पर 39 आइडी बमों को सीरियल ब्लास्ट किया गया। उक्त विस्फोट में सीआरपीएफ के एक जवान को हल्की चोट भी लगी। उसके बाद दोनों ओर से फायरिंग भी हुई।
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घटनाक्रम एक नजर में :
- 4 अक्टूबर 2010 को तुलबुल निवासी प्रमोद पंडित की हत्या नक्सलियों ने पैसे गबन करने के आरोप में ललपनिया में दिनदहाडे गोली मार कर की।
- 8 अक्टूबर 2010 को तिलक महतो उर्फ बरतु महतो की हत्या झुमरा में पुलिस मुखबिरी के आरोप में गला रेतकर की गई।
- 14 फरवरी 2010 को बुधन महतो की हत्या मुखबिरी के आरोप में।
- वर्ष 2011 में पचमो निवासी जलेश्वर प्रजापति की हत्या मुखबिरी के आरोप में।
- वर्ष 2016 में सत्येंद्र मंडल की हत्या चुट्टे पंचायत के कपसा में।
- वर्ष 2016 में चुट्टे निवासी अखिलेश्वर महतो की मौत पुलिस-नक्सली मुठभेड़ में
- 3 अगस्त 2014 को महुआटांड़ थाना के चौकीदार महेश करमाली की हत्या डाकासाड़म में।
- 13 मार्च 2017 को झुमरा के बलथरवा गांव निवासी पारा शिक्षक जयलाल महतो के घर को डायनामाइट लगा कर नक्सलियों ने उड़ा दिया। इन सभी घटनाक्रम के पीछे पुलिस मुखबिरी या पुलिस को नक्सली गतिविधियों की जानकारी देने के एवज में अंजाम दिया गया।
-गत सप्ताह में तेज हुए नक्सली हमले :
खुफिया तंत्र के हवाले से कहा गया है कि झुमरा और ऊपरघाट क्षेत्र में शीर्ष माओवादियों ने घेराबंदी तेज कर दी है। यहां 23 से 28 मई तक विरोध सप्ताह मनाने और 29 मई को बिहार, झारखंड और उड़ीसा बंद करने की घोषणा भाकपा माओवादी के बिहार-झारखंड-उड़ीसा स्पेशल कमांड एरिया के प्रवक्ता गोपाल जी ने पर्चा जारी कर किया है। इधर राज्य प्रशासन के झुमरा क्षेत्र से अगले 60 दिनों में माओवादियों को खदेड़ने के अल्टीमेटम से नक्सलियों में बौखलाहट है। नक्सली अब पुलिस को नुकसान पहुंचाने सहित खुद के अस्तित्व को स्थापित दिखाने के लिए हमले तेज कर दिए हैं। पुलिस भी जवाबी कार्रवाई नक्सलियों के लिए नाकाफी दिख रही है।
----वर्जन----
झुमरा एक्शन प्लान के तहत गोमिया की 14 पंचायत के 34 गांवों में विकास का पहिया तेजी से घूम रहा है। नक्सली बौखलाहट में हैं। पुलिस को टारगेट कर विध्वंसक कार्रवाई को अंजाम देने की कोशिश की जा रही है। पुलिस की जवाबी कार्रवाई से नक्सलियों को भी नुकसान पहुंच रहा है। सर्च ऑपरेशन अभी भी जारी है। पूरे झुमरा में कॉ¨म्बग ऑपरेशन चल रहा है। तिस्कोपी में एसपीओ की हत्या में शामिल नक्सलियों को नहीं बख्शा जाएगा।
-संजय कुमार, एएसपी अभियान।
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तिस्कोपी की घटना नक्सलियों के साथ मृतक की पुरानी रंजिश का परिणाम है। इससे पहले वर्ष 2004-05 के दौरान भी कालीचरण महतो के घर में नक्सलियों ने हमला किया था। कालीचरण महतो की पहचान भाकपा माले के कैडर के रूप में थी। उन्हें एसपीओ (पुलिस मुखबिरी) से जोड़ कर नहीं देखा जा सकता है। मृतक की पत्नी के फर्दबयान पर चतरोचट्टी पुलिस उक्त घटना को लेकर प्राथमिकी दर्ज करने जा रही है। घटना को अंजाम देने वाले नक्सलियों की पहचान भी की जा रही है।
-आरके मेहता, एसडीपीओ, बेरमो।