8-10 रुपये प्रतिवर्ग फुट की दर से ली जाती थी रिश्वत
बोकारो : खनिज क्षेत्र विकास प्राधिकरण (माडा) से नगर निगम क्षेत्र से बाहर का नक्शा पास होता है। इसलिए
बोकारो : खनिज क्षेत्र विकास प्राधिकरण (माडा) से नगर निगम क्षेत्र से बाहर का नक्शा पास होता है। इसलिए निगम बनने के बाद कई माडाकर्मियों की आमदनी कर हो गई थी। नक्शा पास कराने के लिए दर निर्धारित है। माडा में प्रतिवर्ग फुट 8 से 10 रुपये के हिसाब से घूस की रकम वसूल की जाती थी। बताया जाता है कि माडा का बड़ा बाबू समरेंद्र प्रसाद एक वर्ष पूर्व ही स्थानांतरित होकर बोकारो आए थे। उसके संपर्क में आए लोगों ने उसकी गिरफ्तारी के बाद कहा कि माडा में नक्शा पास कराना एक बड़ी चुनौती थी। बिना घूस के समरेंद्र कलम नहीं उठाते थे। नक्शा के लिए उन्हीं आवेदनों पर विचार होता था जिनमें तय रकम का भुगतान किया जाता था। सुविन कुमार को भी अपनी जमीन पर मकान बनाने के लिए नक्शा पास कराना था। पहले तो उसने भी सामान्य रूप से उसने आवेदन दिया। लेकिन कई बार कार्यालय के चक्कर काटने के बाद भी उसकी फाइल आगे नहीं बढ़ी। मजबूरी में वह घूस की रकम देने के लिए तैयार हुआ। सुविन ने अपनी पत्नी के नाम से जमीन ली थी। इसके लिए समरेन्द्र ने कम से कम पंद्रह हजार रुपये देने की बात कही थी।
इधर, समरेंद्र की गिरफ्तारी के बाद कर्मी सहमे हुए हैं। धनबाद में गिरफ्तार होने के बाद माडा कार्यालय में सन्नाटा पसर गया। चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी को छोड़कर कोई भी नहीं दिखा। यही नहीं लोग किसी भी प्रकार की बात करने से भी कतराते दिखे ।