बाजार में नहीं नोट, दुकानदारों को उधार की चोट
बोकारो : नोटबंदी के करीब एक माह बाद भी बाजार में रौनक देखने को नहीं मिल रही। शहरों में तो स्थिति धीर
बोकारो : नोटबंदी के करीब एक माह बाद भी बाजार में रौनक देखने को नहीं मिल रही। शहरों में तो स्थिति धीरे-धीरे सामान्य हो रही है लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी आपाधापी मची है। ग्रामीण क्षेत्रों के छोटे दुकानदार पिछले एक माह से पैसे के अभाव में उधार पर धंधा कर रहे हैं।
दुकानदारों का कहना है कि नोटबंदी की वजह से धंधा चौपट हो चुका है। अब धंधा छोड़कर बैंकों में घंटों लाइन लगाने का मतलब है सारा दिन बर्बाद करना। पैसे भी पूरे नहीं निकलते हैं। बोकारो का थोक बाजार भी मंदी के दौर से गुजर रहा है। बाजार में नए नोट की काफी किल्लत है। भले ही सरकार के प्रयास के बाद बैंकों और एटीएम के बाहर लोगों की लाइन छोटी होने लगी हो लेकिन बाजार में नए नोट का चलन अभी बहुत धीमा है।
पांच सौ का नया नोट अभी बाजार में पूरी तरह से प्रचलन में नहीं आया है। राशन के थोक विक्रेताओं का कहना है कि हमलोगों का धंधा नकदी पर होता है, लेकिन अब उधारी पर चल रहा है। नोटबंदी की वजह से धंधा आधा हो गया है। ग्रामीण क्षेत्रों के छोटे दुकानदारों के नहीं आने से धंधा सबसे ज्यादा प्रभावित है।
राशन दुकानदार देवाशीष का कहना है कि नोटबंदी के कुछ दिन तक धंधा पूरी तरह बंदी के कगार पर था, लेकिन अब धीरे-धीरे स्थिति सामान्य हो रही है। ग्रामीण क्षेत्रों के छोटे दुकानदार थोक बाजार से चावल, दाल सहित अन्य घरेलू आइटम नकदी में खरीदते थे। नोटबंदी के बाद जो हमारे नियमित खरीदार हैं, उन्हें तो उधार दे रहे हैं, लेकिन कई दुकानदार वापस लौट जा रहे हैं। दुकानदार भवेश केसरवानी का कहना है कि शहरी क्षेत्र के बड़े दुकानदार चेक लेकर आ रहे हैं। जो जान-पहचान के हैं, उनसे तो चेक ले रहे हैं, लेकिन सबसे चेक नहीं ले सकते। चेक लेन के बाद पता नहीं खाते में पैसे हों या नहीं।