संतालों की सामाजिक व्यवस्था को मजबूत करने पर जोर
चंद्रपुरा : संतालों की सामाजिक और धार्मिक संस्कृति को मजबूत बनाने एवं समाज की न्यायिक व्यवस्था के हि
चंद्रपुरा : संतालों की सामाजिक और धार्मिक संस्कृति को मजबूत बनाने एवं समाज की न्यायिक व्यवस्था के हित में लिए गए कई प्रस्ताव के साथ भारत जकात माझी परगना महल की ओर से चंद्रपुरा में पारंपरिक एवं प्रथागत कानून विषय पर आयोजित दो दिवसीय सेमिनार का समापन हुआ।
समाज के दिशोम परगना नित्यानंद हेम्ब्रम, दिशोम प्रमाणिक रामचंद्र मुर्मू एवं अंतरराष्ट्रीय संताल परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष डीसी मुर्मू ने कहा कि संथाल की धार्मिक संस्कृति एवं सामाजिक व्यवस्था को और मजबूत करना है। संतालों को अपनी संस्कृति की रक्षा के लिए सजग रहने की जरूरत है।
श्यामलाल किस्कू, लालजी बास्के, मोतीलाल टुडू, प्राण मरांडी, गुलाबचंद मरांडी, दुर्गा मरांडी, सनिल बास्के, नुनूचंद मुर्मू एवं अनिल मुर्मू ने कहा कि संताल समाज को शिक्षा के प्रति विशेष रूप से जागरूक होना होगा। सामाजिक कुरीतियों को उखाड़ फेंकने के लिए एकजुट होना जरूरी है। कहा गया कि संताल प्रकृति के पुजारी होते हैं। इसलिए पौधरोपण एवं स्वच्छता पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।
अंत में तय किया गया कि संतालों का अगला सेमिनार पश्चिम बंगाल के झाड़ग्राम में 13-14 अक्टूबर को आयोजित होगा जहां समाज के पारंपरिक एवं प्रथागत कानून के लिखित दस्तावेज को अंतिम रूप दिया जाएगा। सेमिनार में झारखंड के अलावा, बिहार, ओडिशा एवं पश्चिम बंगाल राज्य के विभिन्न जिलों के संताली शामिल हुए।