बोकारो-चंद्रपुरा पुल 15 साल का, पहुंच पथ के लिए अब भी बहाना
बोकारो : बोकारो से चंद्रपुरा की दूरी कम करने की राज्य की पहली सरकार की घोषणा कब धरातल पर उतरेगी, इसक
बोकारो : बोकारो से चंद्रपुरा की दूरी कम करने की राज्य की पहली सरकार की घोषणा कब धरातल पर उतरेगी, इसका दावा करना अब किसी के वश में नहीं रहा। प्रशासनिक सिस्टम के सामने जिले के बड़े अधिकारी से लेकर जनप्रतिनिधि तक फेल हो गए। इस पुल पर पहुंच पथ बनाने की योजना पर पंद्रह वर्ष से काम चल रहा है। अब तक किसी ओर से न तो सही पहल और न ही सही जवाब मिला। इससे साफ है कि कोई भी इस पुल पर पहुंच पथ बनाने को लेकर गंभीर नहीं है।
शनिवार को योजना एवं अनुश्रवण समिति की हुई बैठक में फिर यह मामला उठा। विभागीय अधिकारियों ने एक बार फिर जिले के जनप्रतिनिधियों को कागज पर यह समझा दिया कि बननेवाले पहुंच पथ को जमीन अधिग्रहण के लिए 5.19 करोड़ की राशि की आवश्यकता है। यह राशि जब मिलेगी तो जमीन का अधिग्रहण होगा, लेकिन सच्चाई इससे अलग है। अब पहुंच पथ के लिए नया टेंडर करना होगा। तब जाकर इस पहुंच पथ का निर्माण पूर्ण होगा। अधिकारी अब तक बहाना ही बनाते आए हैं।
नहीं सुनते पथ निर्माण विभाग के अधिकारी : बोकारो के विधायक बिरंची नारायण ने गत मई माह में प्रस्तावित किया था कि राज्य संपोषित योजना से सेक्टर 9 पानी टंकी से धनगड़ी बस्ती तक सड़क का निर्माण कार्य चल रहा है। केवल विभाग पचौड़ा से मधुडीह तक दो किमी सड़क बना दे। वहां पूर्व से रास्ता बना है। छह किमी के बजाय मात्र तीन किमी सड़क बनानी होगी। इस प्रस्ताव पर विभाग ने कोई संज्ञान नहीं लिया। पूछने पर विभाग के अभियंता ने कहा कि इस बारे में जानकारी नहीं है।
बोकारो-चंद्रपुरा पहुंच पथ का मामला एक नजर में
- राज्य के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने 2001 में किया शिलान्यास।
- राज्य के दूसरे मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा ने 2003 में किया उद्घाटन।
- वर्ष 2012 में पुल के पहुंच पथ के लिए टेंडर निकालकर 11 करोड़ की राशि की स्वीकृति मिली।
- 2013 में पहुंच पथ का काम प्रारंभ हुआ और रुक गया।
- 2016 में पहुंच पथ को जमीन का अधिग्रहण करने के लिए राशि की मांग सरकार से की जा रही है।