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पानी न शौचालय, यह कैसा विद्यालय

ललपनिया (बेरमो) : राज्य सरकार शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए बड़े-बड़े दावे करती है लेकिन धरातल पर वे खो

By Edited By: Published: Thu, 28 Jul 2016 07:31 PM (IST)Updated: Thu, 28 Jul 2016 07:31 PM (IST)
पानी न शौचालय, यह कैसा विद्यालय

ललपनिया (बेरमो) : राज्य सरकार शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए बड़े-बड़े दावे करती है लेकिन धरातल पर वे खोखले साबित होते हैं। सर्वशिक्षा के लिए पानी की तरह पैसा बहाने के बाद भी कई सरकारी स्कूल सुविधाओं से वंचित हैं। गोमिया के प्लस-टू हाई स्कूल में भी अध्ययनरत बच्चों के लिए न तो शौचालय की व्यवस्था हो पाई और न ही पीने के लिए स्वच्छ पानी की।

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इस स्कूल में कक्षा 9 से 12 तक के करीब 1100 बच्चे अध्ययनरत हैं। उनमें लड़कियों की संख्या ज्यादा है। स्कूल की 12वीं कक्षा की छात्रा करिश्मा कुमारी, विजेता कुमारी, रूबी खातून, किनी कुमारी, काजल कुमारी, रेशमी कुमारी, सबा परवीन आदि ने अपनी समस्या सुनाते हुए बताया कि स्कूल में करीब 600 छात्राएं अध्ययनरत हैं।

स्कूल में शौचालय नहीं रहने से छात्राओं को शौच के लिए काफी परेशानी होती है। इस स्कूल की चारदीवारी भी जर्जर है। कुछ स्थानीय युवकों की अश्लील हरकतों से छात्राएं आयेदिन परेशान होती हैं। चारदीवारी तड़प कर ऐसे तत्व स्कूल के ब्लैक बोर्ड पर भद्दी-भद्दी बातें लिखकर भाग जाते हैं।

इस संबंध में विद्यालय प्रबंधन को कई बार जानकारी दी गई, मगर उन युवकों के खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। स्कूल में शिक्षकों की भी काफी कमी है। कॉमर्स में दो ही विषयों की पढ़ाई होती है। साइंस के भौतिकी-रसायन विषय के शिक्षक नहीं हैं। इतिहास विषय के शिक्षक भी यहां नहीं हैं।

छात्र रवि प्रकाश, सरोज दास, बिट्टू कुमार, रोहित कुमार, विवेक कुमार, सागर कुमार आदि का कहना है कि स्कूल में बच्चों की संख्या अधिक रहने के कारण कक्षाओं में बैठने में काफी परेशानी होती है। कुछ बच्चे तो खड़े होकर पढ़ाई करते हैं। कक्षाओं में पंखे नहीं लगे हैं। गर्मी के दिनों में काफी परेशानी होती है। स्कूल की पानी टंकी कम क्षमता वाली है। बच्चों की संख्या अधिक रहने के कारण पानी जल्द खत्म हो जाता है।

स्कूल के मैदान में एक चापाकल है मगर उसका पानी पीने योग्य नहीं। वह भी कुछ दिन से खराब पड़ा है। एक कुआं है, जिसका पानी दूषित हो चुका है। स्कूल के पुराने कमरे में बारिश के दौरान छत से पानी टपकने से भी पठन-पाठन बाधित होता है। स्थानीय जनप्रतिनिधि, जिला शिक्षा पदाधिकारी एवं विद्यालय प्रबंधन को इसकी जानकारी समय-समय पर दी जाती है लेकिन व्यवस्था में कोई सुधार नहीं हो रहा। स्थिति नहीं बदली तो शीघ्र ही स्कूल के बच्चे विद्यालय में ताला जड़कर सड़क पर उतरने को बाध्य होंगे।

''बच्चों की शिकायत जायज है। यहां की समस्याओं से विभागीय पदाधिकारी एवं सरकार को अवगत कराया गया है। विद्यालय प्रबंधन की ओर से स्थानीय सांसद एवं विधायक को भी जानकारी दी गई है। पिछले वर्ष स्थानीय विधायक की ओर से विद्यालय में डीप बो¨रग कराने और दो शौचालय बनवाने की घोषणा की गई थी जिस पर अभी तक पहल नहीं की गई।

- ठाकुर दास महतो, प्रभारी प्राचार्य।


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