पारसनाथ में बनी थी जमुई नक्सली हमले की रणनीति
बेरमो : बिहार के जमुई जिलांतर्गत चकाई थाना के गादी गांव में बीते 21 मई की रात घटित नक्सली वारदात की
बेरमो : बिहार के जमुई जिलांतर्गत चकाई थाना के गादी गांव में बीते 21 मई की रात घटित नक्सली वारदात की रणनीति पारसनाथ जंगल में तैयार की गयी थी। गिरिडीह और जमुई जिले की सीमा से सटे गांव गादी में सशस्त्र माओवादियों ने एसपीओ और चौकीदार पुत्र समेत तीन लोगों का तालिबानी अंदाज में सिर कलम कर दिया था। यह घटना नक्सली चिराग की हत्या का बदला लेने की कार्रवाई से जुड़ी थी। जमुई नक्सली वारदात की रणनीति 4 मई को गिरिडीह के पारसनाथ पहाड़ में हुई संगठन की उच्च स्तरीय बैठक में तैयार की गयी थी। सारंडा स्पेशल जोनल कमांडर सह 25 लाख के इनामी नक्सली अनल दा ने चिराग के उत्तराधिकारी अरविंद को इसकी जिम्मेदारी सौंपी थी।
बता दें कि बोकारो जिला के ऊपरघाट निवासी भाकपा माओवादी स्पेशल एरिया कमांडर रामचंद्र महतो उर्फ चिराग दा की मौत सीआरपीएफ के साथ मुठभेड़ में 30 जनवरी को जमुई के ही चरकापत्थर थाना क्षेत्र में हुई थी। नक्सली संगठन चिराग की मौत को लेकर काफी संजीदा था। संगठन स्तर पर पुलिस मुखबिरों की पहचान के लिए सेंट्रल कमेटी की स्पेशल एक्शन फोर्स को जिम्मेदारी सौंपी गयी थी।
घटना को अंजाम देने के पूर्व संगठन स्तर पर कई दौर की बैठक चली। बिहार के जमुई जिला के निवासी अर¨वद पहले से ही स्पेशल एरिया कमेटी के सहायक सचिव के पद पर कार्यरत था। चिराग की मौत के बाद उसे एरिया सचिव का प्रभार सौंप दिया गया था। अर¨वद पर बिहार एवं झारखंड पुलिस ने लाखों रुपया का इनाम भी घोषित कर रखा है। सूत्रों के अनुसार भाकपा माओवादी के पोलित ब्यूरो सदस्य प्रशांत बोस उर्फ किशन दा ने अर¨वद को चिराग का पद संभालने की जिम्मेदारी सौंपी थी। बीते 3 व 4 मई को गिरिडीह के पारसनाथ पहाड़ में वरीय नक्सली नेताओं की उच्चस्तरीय बैठक की गुप्त सूचना मिलने के बाद गिरिडीह और बोकारो की संयुक्त पुलिस और सीआरपीएफ टीम ने कां¨बग ऑपरेशन चलाकर नक्सलियों की घेराबंदी कर ली थी। पारसनाथ की भौगोलिक परिस्थितियों का फायदा उठाकर तब वहां नक्सली दस्ता पुलिस को चकमा देकर सुरक्षित बच निकले थे।
खुफिया विभाग की रिपोर्ट के अनुसार इसी बैठक में नक्सलियों ने पार्टी को मजबूत करने के लिए पार्टी छोड़ चुके पुराने नक्सलियों को वापस लाने के लिए और पार्टी के सूचना तंत्र को मजबूत कर पुलिस मुखबिरों को चिह्नित करने का भी निर्णय लिया गया था। इसकी आधिकारिक रिपोर्ट खुफिया विभाग ने अपने वरीय अधिकारियों को देकर सतर्कता बरतने का संकेत दे दिया था। बावजूद इसके पुलिस ने इसे गंभीरता ने नहीं लिया। इसके परिणाम स्वरूप नक्सलियों ने जमुई में तीन लोगों की नृशंस हत्या कर दी।
मालूम हो कि बोकारो जिला के नावाडीह प्रखंड के ऊपरघाट के पिपराडीह गांव निवासी रामचंद्र महतो उर्फ चिराग दा की मौत के बाद इस क्षेत्र में नक्सलियों को बड़ा झटका लगा था। चिराग की मौत के बाद संगठन बिहार के जमुई जिले में नेतृत्वविहीन होने की स्थिति में था। गिरिडीह एवं उसके आसपास सक्रिय पारसनाथ स्पेशल एरिया कमेटी के कमांडर अजय महतो उर्फ मोछू, झुमरा पहाड़ के जोनल कमांडर सह स्पेशल एरिया सदस्य दुर्योधन उर्फ मिथिलेश महतो, एरिया कमांडर संतोष महतो, अविनाश आदि भी इस अभियान के प्रमुख रणनीतिकारों में शामिल थे।
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- पारसनाथ पहाड़ में नक्सलियों की उच्चस्तरीय बैठक की सूचना के बाद पुलिस की ओर से पूरे क्षेत्र की कां¨बग की गयी थी। पुलिस को तब वहां से काफी मात्रा में नक्सलियों का सामान भी मिला था। चिराग की मौत का बदला लेने से जोड़ कर जमुई घटना को देखा जाना तार्किक नहीं है। हां, झारखंड से लेवी का पैसा नहीं जाने के कारण नक्सली बड़ी घटना को अंजाम देकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की फिराक में थे। यह घटना उसी का फलाफल है। यह उनके हताशा का परिचायक है।
- कुणाल, एएसपी अभियान।