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कभी गुदगुदाया तो कभी देशभक्ति का भाव जगाया

बोकारो : बीएसएल संपर्क एवं प्रशासन विभाग की ओर से बोकारो क्लब के सिनेमा एरिना में अखिल भारतीय कवि सम

By Edited By: Published: Fri, 27 Feb 2015 10:14 PM (IST)Updated: Fri, 27 Feb 2015 10:14 PM (IST)
कभी गुदगुदाया तो कभी देशभक्ति का भाव जगाया

बोकारो : बीएसएल संपर्क एवं प्रशासन विभाग की ओर से बोकारो क्लब के सिनेमा एरिना में अखिल भारतीय कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इसमें देश के प्रख्यात कवियों ने काव्य रस की बौछार कर दी। हास्य-व्यंग्य के खूब तीर चले। कवियों ने हास्य कविता के माध्यम से लोगों को गुदगुदाया तो वीर रस की कविता के जरिए लोगों में देशभक्ति का भाव भी जगाया। इसके पूर्व बतौर मुख्य अतिथि बीएसएल के सीईओ अनुतोष मैत्रा ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।

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अब कौन गाए मेरा रंग दे बसंती चोला : मध्यप्रदेश रतलाम के ब्रजराज सिंह ब्रज ने वीर रस की कविता प्रस्तुत की। उन्होंने अब कौन गाए मेरा रंग दे बसंती चोला, आज तो मुन्नी, शीला, चमेली के गीत गुनगुनाए जाते हैं, अब कौन सुनाए दास्तां जंगे आजादी की, आज तो धौनी, सैफ, सलमान के किस्से सुनाए जाते हैं, अब कौन झुकाए शीश शहीदों के सम्मान में, आज तो सिर्फ अपने राजनैतिक आकाओं के गुण गाते हैं, अब कौन खाए सौगंध वतन पर मर-मिटने की, आज तो कफन पर भी कमीशन खाए जाते हैं.कविता के माध्यम से व्यवस्था पर चोट की।

इंदौर के अख्तर हिन्दुस्तानी ने निकल पड़ा हूं मैं बदल डालूंगा मिजाज, हक है उठा रहा हूं हक की आवाज, किसके सर रखूं मैं बोलिए ताज यहां, हम भी दगाबाज तुम भी दगाबाज., चित्तौड़गढ़ के नवीन सारथी ने सीता, सावित्री, मीरा के इस देश में बदल चुकी है भारतीय नारी, फैशन के इस परिवेश में भूल गए हम क्या संस्कृति थी हमारी, क्या संस्कार है सच मानो, इस अश्लीलता को बढ़ावा देने में आप और हम खुद जिम्मेदार हैं से समां बांधा।

मध्यप्रदेश धार के डॉ. लोकेश जड़िया ने तुम नग्न हुए अश्लील हुए वासनाओं में खो गए, हमारी नग्नता अमर हुई और भगवान महावीर हो गए..वतनपरस्ती एक इबादत है इसमें कौम की बात नहीं होती, मसला ये जज्बात ए दिल का है और दिल कोई जात नहीं होती., उदयपुर राजस्थान के जगदीश दर्षदर्शी ने रिश्तों में छोटे सभी, मां से बड़ा न कोय, मां की अनुकंपा बिना कोई बड़ा न होय., मुंबई के वाहेगुरु भाटिया ने भले ही जमाने को दिखाने के लिए, पर हौसला होना चाहिए मुस्कुराने के लिए, इस जमाने के सितम का क्या गम करें, इसे तो बस मौका चाहिए रुलाने के लिए., रायपुर की अरुणा चौहान हिन्दुस्तानी ने तुम्हारे दिन की मैं चैनो करार हो जाऊं, तमाम गम को मिटाकर मैं प्यार हो जाऊं, फिरोजाबाद की पूजा भारती ने इंसान हैं इंसानियत जरा निभाएं हम, सृष्टि को बचाना है तो बेटियां बचाएं हम, महावीर तक अधूरे हैं सती के बिना, कामदेव भी न पूरे हैं रति के बिना एवं इंदौर के संजय भारती ने लोगों के पैरों ने ठोकर बना दिया, पानी पेट ने सेठों का नौकर बना दिया और रोते मायूस चेहरे परेशां करते थे मुझे, इसलिए लोगों को हंसाने के लिए अपने को जोकर बना दिया.कविता प्रस्तुत की। कार्यक्रम का संचालन कवयित्री अरुणा चौहान हिन्दुस्तानी ने किया। मौके पर बीएसएल के अधिशासी निदेशक शीतांशु प्रसाद सहित अन्य अधिकारी, कर्मचारी एवं नगरवासी उपस्थित थे।


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