शिक्षा दान बना जीवन का अभियान
नंदकुमार सिंह, करगली (बेरमो) : वाकया वर्ष 1993 से पहले का है। पिछरी इलाके में कोई हाई स्कूल नहीं
नंदकुमार सिंह, करगली (बेरमो) :
वाकया वर्ष 1993 से पहले का है। पिछरी इलाके में कोई हाई स्कूल नहीं था। अधिकतर बच्चे मैट्रिक की शिक्षा से वंचित रह जाते थे। यह आधुनिक समाज के लिए कलंक के समान था। स्थानीय शिक्षित युवक शिक्षा की महत्ता को जानते थे। उन्होंने कदम आगे बढ़ाया और एक उच्च विद्यालय की स्थापना की। उन्होंने शिक्षा दान को जीवन का अभियान बना लिया। आज इलाके के 70 फीसद बच्चे शिक्षा की रोशनी में अपनी जिंदगी संवार रहे हैं।
21 वर्ष पूर्व यानी 1993 में ग्रामीण युवकों ने पेटरवार प्रखंड के पिछरी में आदर्श उच्च विद्यालय की स्थापना की। उन्होंने ही इसमें शिक्षक व प्रधानाध्यापक का दायित्व निभाया। आज भी बिना कोई तय मानदेय के अध्यापन कर रहे हैं। इस स्कूल को कोई सरकारी सहायता नहीं मिलती है। इस विद्यालय के खुलने के बाद आसपास के क्षेत्रों के बच्चों के लिए शिक्षा का मार्ग प्रशस्त हो गया।
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गरीब बच्चों को निश्शुल्क शिक्षा
इस विद्यालय के शिक्षक संजय कुमार मिश्रा, विभीषण कुमार राय, नुनूचंद पंडित, सुधांशु शेखर चक्रवर्ती, सहदेव कुमार महतो, राजन कुमार, बैजनाथ प्रसाद, नमीता मिश्रा, त्रिवेणी महतो आदि ने कहा कि उन लोगों ने यहां इस शिक्षा के मंदिर की स्थापना कर दी है। जिन बच्चों के अभिभावक सक्षम हैं उनसे मासिक शुल्क उनकी आय के अनुरूप लिया जाता है। गरीब बच्चों की पढ़ाई यहां निश्शुल्क कराई जाती है। शुल्क से प्राप्त अधिकांश राशि विद्यालय के विकास में खर्च किया जाता है। जो बच जाता है, उसे शिक्षकों के बीच बांट दिया जाता है।
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7 किमी की परिधि में एकमात्र स्कूल
पिछरी के ग्रामीण श्याम मिश्रा, बालेश्वर रविदास, सूरज महतो आदि ने बताया कि यहां 6-7 किलोमीटर की परिधि में यही एकमात्र उच्च विद्यालय है। इसके पूर्व उच्च विद्यालय के अभाव में यहां के अधिकांश बच्चे मध्य विद्यालय से अधिक की शिक्षा प्राप्त नहीं कर पाते थे।
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कंप्यूटर की भी शिक्षा
आदर्शउच्च विद्यालय में अब कंप्यूटर की भी शिक्षा दी जा रही है। मात्र दो कमरे से शुरू किए गए इस विद्यालय में अब तो कई कमरे बन गए हैं, लेकिन अन्य सुविधाओं की जरूरत अब भी बाकी है।
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पेटरवार प्रखंड के पिछरी ग्राम में उच्च विद्यालय नहीं होने के कारण स्थानीय अधिकांश बच्चे मध्य विद्यालय से अधिक की पढ़ाई नहीं कर पा रहे थे। यहां के चंद उत्साही युवाओं ने मेरे नेतृत्व में आदर्श उच्च विद्यालय की स्थापना की। हमारा लक्ष्य है कि इस इलाके का एक भी बच्चा अशिक्षित न रहे।
-धनेश कुमार महतो, संस्थापक, आदर्श उच्च विद्यालय पिछरी।
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क्या कहते हैं विद्यार्थी
मैं एक निर्धन परिवार से हूं। इस कारण आदर्श उच्च विद्यालय में मुझे बिल्कुल निश्शुल्क शिक्षा दी जा रही है। इस विद्यालय की स्थापना से विशेष रूप से यहां की बच्चियों को उच्च शिक्षा पाने का अवसर मिल रहा है।
-साजिदा परवीन, छात्रा, कक्षा सप्तम।
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लड़कों के साथ-साथ लड़कियों की शिक्षा के लिए यह विद्यालय वरदान साबित हो रहा है। गरीब परिवार के छात्र-छात्राओं को निश्शुल्क शिक्षा इस विद्यालय में दी जाती है। उनमें एक मैं भी हूं।
-रानी कुमारी, छात्रा, कक्षा नवम।
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पिछरी बस्ती व आसपास के गांवों की कोई भी लड़की इस विद्यालय की स्थापना के पूर्व मैट्रिक उत्तीर्ण नहीं थी। इस विद्यालय से मैट्रिक तक की पढ़ाई करने के बाद अब लड़कों सहित कई लड़कियां भी मास्टर डिग्री प्राप्त करने के साथ-साथ इंजीनिय¨रग की पढ़ाई कर चुकी हैं।
-सचिन रजवार, छात्र, कक्षा दशम।
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यह विद्यालय पिछरी क्षेत्र में शिक्षा को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभा रहा है। इस विद्यालय की बदौलत पिछरी बस्ती की माधुरी कुमारी व हेमा कुमारी जहां मास्टर डिग्री पा चुकी हैं, वहीं ज्योत्सना कुमारी अभी इंजीनिय¨रग की पढ़ाई कर रही हैं।
-बादल ठाकुर, छात्र, कक्षा नवम