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दूर नहीं हो रही सदर अस्पताल की 'बीमारी'

बोकारो : आज सदर अस्पताल का एक वर्ष पूरा हो गया। ठीक एक वर्ष पूर्व राज्य के स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र

By Edited By: Published: Fri, 31 Oct 2014 09:18 PM (IST)Updated: Fri, 31 Oct 2014 09:18 PM (IST)
दूर नहीं हो रही सदर अस्पताल की 'बीमारी'

बोकारो : आज सदर अस्पताल का एक वर्ष पूरा हो गया। ठीक एक वर्ष पूर्व राज्य के स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र प्रसाद सिंह ने इस अस्पताल का उद्घाटन किया था। तब अस्पताल में सुविधा बहाल करने को बड़े-बड़े दावे और वायदे किए गए थे। फिलवक्त मरीजों को निरोग करनेवाला सदर अस्पताल खुद बीमार है।

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सदर अस्पताल की स्थापना के बाद यहां कार्यरत चिकित्सकों और अन्य कर्मियों को आज तक वेतन नहीं मिला। एक वर्ष से चिकित्सक और अन्य कर्मी बिना वेतन के यहां मरीजों की सेवा में लगे हैं। इस संबंध में विभाग को कई बार पत्र दिया गया लेकिन आज तक सकारात्मक कार्रवाई नहीं की गई।

उपायुक्त उमाशंकर सिंह के प्रयास से सदर अस्पताल में एक्स रे मशीन, पैथोलॉजी, अल्ट्रा सोनाग्राफी मशीन, दांत-आंख रोग से संबंधित मशीन लगाई गई लेकिन यहां आज तक बिजली का कनेक्शन नहीं दिया गया। मरीजों की सुविधा को देखते हुए मजबूरी में बीएसएल के तार में टोंका फंसाकर यहां विद्युत व्यवस्था बहाल की गई। यहां एक साल में पानी भी नहीं पहुंचा। हाजिरी बनाने के लिए बायोमीट्रिक मशीन लगाई गई है जो आयेदिन खराब होती रहती है।

सदर अस्पताल में गरीब मरीजों का बेहतर इलाज करने का दावा तो किया जाता है, लेकिन यहां सुविधा और संसाधन का अभाव है। अस्पताल में प्लास्टर ऑफ पेरिस नहीं है। अगर किसी मरीज की हड्डी टूट गई तो यहां उसका प्लास्टर नहीं हो सकता। यहां आंख की सर्जरी की कोई व्यवस्था नहीं है। दांत विभाग में डॉ. निकेत चौधरी प्रतिनियुक्त हैं।

चास अनुमंडल अस्पताल में दंत चिकित्सक डॉ. संजय एवं तेनुघाट में डॉ. सुनीता पदस्थापित हैं। चास और तेनुघाट अस्पताल में दंत चिकित्सा से संबंधित मशीन नहीं है। यहां विशेषज्ञ चिकित्सक से भी पाली में ड्यूटी ली जाती है। यहां पदस्थापित फिजीशियन डॉ. संजय कुमार को जैप चार अस्पताल में प्रतिनियुक्त कर दिया गया। आज तक अस्पताल की चारदीवारी भी नहीं बनाई गई।

''सदर अस्पताल चलाने के लिए राशि का आवंटन नहीं किया गया है। एक वर्ष से चिकित्सक और कर्मी बिना वेतन के काम कर रहे हैं। इसके लिए सरकार को पत्र दिया गया है। बिजली-पानी के लिए संबंधित विभाग को लिखा गया है। उपायुक्त के प्रयास से फंड मिला था जो अब खत्म हो रहा है। इसलिए आनेवाले दिनों में यहां दवाइयों की भी किल्लत होने की संभावना है।

- डॉ. अर्जुन प्रसाद, अस्पताल अधीक्षक


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