बंदी के कगार पर स्वांग कोलवाशरी
स्वांग (बेरमो) : प्रतिवर्ष करोड़ों का मुनाफा अर्जित करनेवाली सीसीएल की स्वांग कोलवाशरी अब अंतिम सांसें गिन रही है। वर्ष 1972 में स्थापित यह परियोजना इस कदर जर्जर हो चुकी है कि इसमें काम करनेवाले कर्मियों के समक्ष सदैव हादसे की चपेट में आने का खतरा बना रहता है। हालांकि, इसके रखरखाव और मरम्मत के नाम पर प्रतिवर्ष लाखों रुपया खर्च किया जाता है। इसके बावजूद स्थिति नहीं सुधर रही है।
दुर्घटना की आशंका : वाशरी में कार्यरत कामगार चिंतामणि केवट, हीरालाल विश्वकर्मा, मंटू यादव, कमली देवी एवं रूपमणि देवी ने बताया कि प्रथम तल पर स्थापित सेंटीफ्यूज वर्षो से बंद है, जो कोयले को पानी से अलग करने का काम करता है। उसका वजन दो टन से भी अधिक है। वह इस कदर जर्जर हो गया है कि कभी भी ध्वस्त हो सकता है, जिससे बड़ी दुर्घटना घट सकती है।
संयंत्र में लगे पानी के तमाम पाइप सड़ गए हैं। इससे कोयलायुक्त पानी का रिसाव होता रहता है। कन्वेयर बेल्ट के नीचे लगे ज्यादातर रोलर टूट चुके हैं। इससे कन्वेयर की सतह से बेल्ट घिसटकर चलता है। इस वजह से कन्वेयर बेल्ट टूटता रहता है।
घटिया सामान आपूर्ति : एटक के बलराम नायक, मदन सिंह, आरसीएमएस के रवींद्र कुमार पांडेय, बद्री प्रसाद एवं झाकोमयू के मुमताज अंसारी ने बताया कि इस वाशरी के सेकेंडरी क्रशर में लगा सिगमेंट दो माह पूर्व टूटने पर बदला गया था, जो फिटिंग के दौरान ही पुन: टूट गया। इस नुकसान के लिए संबंधित सप्लायर पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। इस परियोजना में नट, बोल्ट, बियरिंग, चेन एवं स्पोकेट के अलग-अलग आपूर्तिकर्ता हैं। इसके बावजूद छोटे-मोटे सामान की भारी कमी बनी रहती है। इस कारण उत्पादन प्रभावित होता है। प्लाट में चढ़ने-उतरने वाली प्राय: सभी लोहे की सीढि़या सड़कर जर्जर हो गई हैं। विद्युत व्यवस्था का भी बुरा हाल है। जगह-जगह वायरिंग उखड़ चुकी है। कई जगह तार नंगे पड़े हैं, जिससे दुर्घटना की आशंका बनी रहती है।
''यह वाशरी काफी पुरानी है और इसे किसी तरह चलाया जा रहा है। घटिया सामान की आपूर्ति के बारे में जानकारी नहीं। मामले को देखने के बाद ही कुछ कह सकते हैं।
- सुकेन बंदोपाध्याय, परियोजना पदाधिकारी, स्वांग वाशरी, सीसीएल