औद्योगिक क्षेत्र को बना दिया हाउसिंग एरिया
बोकारो : वर्षो से उद्योग के नाम पर जमीन लेकर उपयोग नहीं करनेवाले डमी उद्यमियों की जमीन हर हाल में बियाडा वापस लेगा। बियाडा प्रबंधन चाहकर भी इन उद्यमियों को राहत नहीं दे सकता है जिन्होंने शर्तो के विपरीत अब तक भूखंड का उपयोग नहीं किया है या घर बनाकर रह रहे हैं। इसी कड़ी में बियाडा प्रबंधन ने अब तक पांच उद्यमियों की जमीन को रद कर दिया। उसमें उकरीद बस्ती के समीप स्थित इस्टर्न ऑक्सीजन नामक कंपनी की 6.62 एकड़ जमीन भी शामिल है।
सूत्रों की मानें तो 100 लोगों की सूची बनाई गई है। उनसे पूरी जमीन बियाडा वापस लेगा या फिर उपयोग में नहीं लाई जा रही जमीन का आवंटन रद करेगा। सूबे की औद्योगिक नीति में इस आशय का स्पष्ट उल्लेख है कि जिन उद्योगों को आवश्यकता से अधिक जमीन दी गई है या वे उद्योग के लिए प्राप्त जमीन का उपयोग नहीं कर रहे हैं, उनका आवंटन रद कर जमीन दूसरे निवेशकों को उपलब्ध कराई जाए।
इस्टर्न ऑक्सीजन का आवंटन रद करने पर बवाल : बियाडा के अस्तित्व में आने के पहले बोकारो की पहली औद्योगिक इकाई के रूप में स्थापित होने वाली इस्टर्न ऑक्सीजन पर जब बियाडा प्रबंधन ने हाथ डाला तो बवाल मच गया। यह उद्योग एनएच के किनारे था और इसे तत्कालीन बिहार सरकार ने वर्ष 1969 में उद्योग संचालन के लिए जमीन आवंटित की थी। कंपनी की अनुपयोगी 6.62 एकड़ भूमि को बियाडा ने रद करते हुए बोकारो होटल एंड रिसोर्ट प्रा. लिमिटेड एवं मा. प्यारी सुपर स्पेस्लिटी हॉस्पीटल प्रा. लि. को आवंटित कर दिया।
इसके पूर्व कंपनी पर बकाया 18 लाख की राशि प्राप्त करने का प्रयास किया गया। नहीं मिलने पर कारणपृच्छा करते हुए प्रबंध निदेशक ने मामले की सुनवाई की। इसके बावजूद कंपनी प्रबंधन उपस्थित नहीं हुआ तो बियाडा ने प्लॉट रद कर दिया। आवंटन रद करने के बाद पांच सितारा होटल एवं अस्पताल को भूखंड का आवंटन कर उसे सौंप दिया गया। इसके बाद कंपनी प्रबंधन ने उद्योग सचिव के न्यायालय के साथ उच्च न्यायालय की शरण ली।
बियाडा सूत्रों की मानें तो झारखंड औद्योगिक नीति के अनुसार कंपनी फिलहाल तीन एकड़ भूमि का ही उपयोग कर रही है। भविष्य में शेष पांच एकड़ खाली पड़ी भूमि को भी बियाडा रद कर सकता है। वजह यह है कि कंपनी ने आवंटन नियमों के विरुद्ध श्रमिकों के लिए परिसर में ही आवास का निर्माण कराया है। इस्टर्न ऑक्सीजन प्रबंधन को उस वक्त मात्र पाच हजार रुपया प्रति एकड़ भूमि उपलब्ध कराई गई थी। बियाडा ने इस जमीन को वापस लेने के बाद 33 लाख रुपये प्रति एकड़ की दर से 33 वर्ष की लीज पर दिया है।