ठंडे मौसम से गेहूं की फसल प्रभावित
जागरण संवाददाता, ऊधमपुर : मौसम के ठंडे मिजाज काअसर गेहूं की फसल पर पड़ना शुरू हो गया है। देरी से बिजा
जागरण संवाददाता, ऊधमपुर : मौसम के ठंडे मिजाज काअसर गेहूं की फसल पर पड़ना शुरू हो गया है। देरी से बिजाई होने की वजह से गेहूं की फसल को पकने में भी देरी हो रही है। अर्ली वैराइटी तो हरे से सुनहरे रंग की हो चुकी है, लेकिन ज्यादातर इलाकों में फसल अभी हरी या भूरे रंग की है। कृषि विभाग ने इस साल गेहूं की पैदावार में दस से पंद्रह फीसद की गिरावट की आशंका जताई है।
वैसे तो बैसाखी तक गेहूं की फसल पक कर तैयार हो जाती थी, लेकिन इस बार बैसाखी के एक पखवाड़े बाद भी गेहूं की फसल तैयार नहीं हो पाई है। मजालता व टिकरी इलाकों में अर्ली वैराइटी की पांच से सात फीसद फसल ही पक पाई है। जबकि शेष फसल को पकने में अभी पकने में समय लगेगा और इसकी कटाई भी मई के दूसरे हफ्ते में शुरू हो सके।
कृषि विभाग के मुताबिक जिला में 26 हजार हेक्टेयर जमीन पर गेहूं की फसल लगती है और सवा पांच लाख क्विंटल गेहूं की पैदावार होती है। मगर इस बार मौसम की वजह से गेहूं की फसल प्रभावित हुई। जिला में अक्टूबर अंत से नवंबर तक गेहूं की फसल की बिजाई होती है, लेकिन बिजाई लायक माकूल मौसम न होने की वजह से पांच से सात फीसद किसानों ने अर्ली वैराइटी लगाई थी। जबकि शेष ने जनवरी में गेहूं की बिजाई की।
देरी से फसल लगने की वजह से फसल को पूरा समय नहीं मिल पाया। अब मौसम के कारण फसल पकने में देरी हो रही है। मौसम के बार- बार मिजाज बदलने की वजह से फसल को पकने के लिए जितना तापमान चाहिए, वह नहीं मिल रहा। जिस वजह से बैसाखी के एक पखवाड़े बाद भी फसल पक कर तैयार नहीं हो सकी है। मौसम का जैसा मिजाज चल रहा है, उसे फसल पकने में अभी एक पखवाड़े का समय लगेगा और तब फसल की कटाई शुरू हो सकेगी।
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अर्ली वैराइटी की फसल तैयार
एग्रीकल्चर इंजीनियर केके शर्मा के मुताबिक जिला में टिकरी और मजालता के गर्म क्षेत्र में जिन किसानों ने गेहूं की अर्ली वैराइटी लगाई थी। वह पक कर तैयार है और उनकी कटाई का काम शुरू हो गया है। बाकी किसानों को अभी फसल पकने का इंतजार करना पड़ेगा।
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-गेहूं की फसल पर इस बार मौसम का प्रभाव रहेगा। इससे इसकी पैदावार में गिरावट होने का अंदेशा है। गेंहू की फसल को 180 दिन का समय चाहिए होता है। इस बार देरी से लगने की वजह से फसल को उगने, बड़ा होने, दाना बनने और पकने के लिए उतना समय नहीं मिल पाया, जितना मिलना चाहिए। जाहिर है कि इस वजह से गेहूं की फसल के दानों का आकार और पैदावार कम होगी। स्पष्ट तौर पर तो नहीं कहा जा सकता, लेकिन अनुमान है कि पिछले वर्ष की तुलना में पैदावार 10 से 15 फीसद कम होगी।
-एके कौल, मुख्य कृषि अधिकारी, ऊधमपुर