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सदल के लोग आज भी नहीं भूले वो खौफनाक मंजर

अमित माही, ऊधमपुर पंचैरी ब्लॉक की पंजर पंचायत के सदल गांव को जमींदोज हुए एक साल हो गया है, मगर अपन

By Edited By: Published: Sat, 05 Sep 2015 02:15 AM (IST)Updated: Sat, 05 Sep 2015 02:15 AM (IST)
सदल के लोग आज भी नहीं भूले वो खौफनाक मंजर

अमित माही, ऊधमपुर

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पंचैरी ब्लॉक की पंजर पंचायत के सदल गांव को जमींदोज हुए एक साल हो गया है, मगर अपनों को खोकर इस हादसे में जिंदा बचे सदलवासियों के जेहन में उस खौफनाक मंजर की यादें अभी भी ताजा हैं। सदल जाना तो दूर ग्रामीण सदल का नाम भी अब अपनी जुबान पर लाना नहीं चाहते।

एक साल पहले जहां हंसा खेलता सदल गांव बसता था। आज वहां मलबे के अलावा कुछ नजर नहीं आता। सदल हर कोई जाने से बचता और कतरा रहा है। खुद सदल गांववासी भी इस गांव में नहीं जाना चाहते। सितंबर 2014 में कहर बन कर पंचैरी के सदल गांव पर बरसी बारिश ने पूरे गांव को जमींदोज कर दिया था। वहां पर मौजूद 40 लोग मलबे में जिंदा दफन हो गए थे, जिसमें 36 के शव तो बरामद कर लिए गए। इनमें से एक का शव जुलाई में बरामद हुआ था। 11 माह के बच्चे, एक महिला सहित चार लोगों के शव आज भी मलबे में दबे हैं, जिनके अपने उनके निकाले जाने का इंतजार कर रहे हैं। जिंदा बचे लोग एक साल बाद भी इस हादसे को भुला नहीं पा रहे हैं। आज देखने पर कोई कह नहीं सकता है कि कभी वहां सदल गांव था।

गोद लिए गांव के बसने का आज भी इंतजार

सितंबर में जमींदोज हुए सदल गांव को जनवरी 2015 में ऊधमपुर के सांसद एवं केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने न केवल गोद लिया बल्कि जून 2016 से पूर्व इस गांव को राज्य का पहला स्मार्ट विलेज बनाने का ऐलान किया। मगर जियोलॉजी सर्वे ऑफ इंडिया व वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी देहरादून की ओर से किए गए संयुक्त सर्वे के बाद सदल व आसपास स्थित पंजर, कसूरी को आबादी बसाने के लिए असुरक्षित घोषित किया गया। फिर सदल को किसी दूसरे जगह बसाने के लिए 150 से 200 कनाल जमीन की तलाश शुरू हुई। ऊधमपुर से करीब 10 किलोमीटर दूर डबरेह गांव में 113 कनाल सरकारी जमीन मिली जरूर, लेकिन जरूरत को पूरी नहीं कर पाई। यह तलाश अब तक जारी है।

मर-मर कर जी रहे बाढ़ प्रभावित

सदल हादसे में जिंदा बचे कुंज लाल, शाम लाल, मक्खना देवी, कतीना, खीम राज, काहनू राम ने कहा कि मौत से तो वह बच गए हैं, लेकिन असुविधाओं के बीच वह रोज मर-मर कर जी रहे हैं। सुई में सदल प्रभावित 46 परिवारों को रहने के आपदा प्रबंधन की ओर से शेड दिया गया है। यहां प्लाई बोर्ड से पार्टिशन कर जगह बनाई है, मगर पूरे हॉल की छत एक है। सामान की कोई सुरक्षा नहीं। रात को कोई बच्चा रोता है तो पूरे हॉल में उसकी आवाज गूंजने से सब जाग जाते हैं। कच्चे फर्श में गड्ढे पड़ गए हैं। शुरू में कई संस्थाएं मदद करने आती थी, मगर पिछले कई महीनों से कोई सुध लेने नहीं आया। गत दिनों संदिग्ध देखे जाने के बाद यहां रहने वालों की हालत खराब थी, क्योंकि शेड में कोई आसानी से घुस सकता था।

हादसे के बाद खो दिया था मानसिक संतुलन

सुई में रह रहे सदल प्रभावित माधोराम ने कहा कि सदल में पूरा गांव तबाह होने से उसे गहरा सदमा लगा। कई लोगों के लापता होने की बात सुनने के बाद उसने मानसिक संतुलन खो दिया। जम्मू में चार महीने तक उसका इलाज चला और अब वह ठीक है, लेकिन वह घटना आज भी उसे परेशान करती है और कई बार रात को बेवजह डरकर जाग जाता है।

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पिता, भाई और बेटियों को खोया

सुई में रहने वाले कालू राम ने बताया कि सदल ने उसे वो जख्म दिया है, जो जीते जी कभी नहीं भरेगा। सदल के मलबे में दबने से उसका पिता, भाई और दो बेटियों की मौत हो गई। एक ही झटके में कुदरत ने उससे चार अपने छीन लिए। उन सबको खोकर जीना सरल नहीं है, लेकिन इसे नियति का फैसला मान कर वह और उसका परिवार जी रहा है। आज तक उसे यह समझ नहीं आ रहा कि वह चार अपनों की जान लेने के लिए भगवान को कोसे या बाकी लोगों की जान बचाने के लिए शुक्रिया करे।

जमींदोज सदल गांव से जुड़ी कुछ जानकारियां

गांव - सदल

पंचायत-पंजर

मोड़े-छह (शिपड़ी, शबरेह, पलवाल, लंगासू, कसमाना कुरड़ा व पंछली)

क्षेत्रफल - 4.5 वर्ग किलोमीटर

घर - 75 (सभी कच्चे)

परिवार - 132

कुल आबादी - 622

महिलाएं - 271

पुरुष - 351

मिडिल स्कूल-1

प्राइमरी स्कूल -1

आंगनबाड़ी सेंटर - 3


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