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लाखों खर्च पर मैली ही रह गई देविका

संवाद सहयोगी, ऊधमपुर : सरकार और प्रशासन की उपेक्षा व स्थानीय लोगों की अनदेखी की वजह से पावन देविका न

By Edited By: Published: Thu, 27 Nov 2014 03:34 AM (IST)Updated: Thu, 27 Nov 2014 12:39 AM (IST)
लाखों खर्च पर मैली ही रह गई देविका

संवाद सहयोगी, ऊधमपुर : सरकार और प्रशासन की उपेक्षा व स्थानीय लोगों की अनदेखी की वजह से पावन देविका नदी का अस्तित्व खतरे में है। देविका को बचाने के लिए प्रोजेक्ट तो बनाए गए, लेकिन दूरदर्शिता के अभाव में इन प्रोजेक्टों में शायद ही किसी ने देविका को कोई फायदा पहुंचाया होगा। देविका में साई मंदिर के पास बनाया गया सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट भी ऐसे प्रोजेक्टों में से एक है। 40 लाख रुपये की लागत से बना यह प्रोजेक्ट आज सफेद हाथी बन चुका है।

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वर्ष 2002-03 में देविका नदी के पानी को स्वच्छ बनाने के लिए सीवरेज प्लांट लगाने का निर्माण कार्य शुरू करवाया गया था। इसके तहत डगवेल बना कर देविका का पानी सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में डाला जाना था। इसके लिए साई मंदिर के पीछे की तरफ सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण किया गया। योजना के मुताबिक देविका के दूषित पानी को सीवरेज प्लांट में लाकर साफ करने के बाद वापस देविका में डाला जाना था। इसके लिए बनाया गया सीवरेज प्लांट का बड़ा सा हौद आज भी मौजूद है, लेकिन इस प्रोजेक्ट ने सही से काम करने से पहले ही दम तोड़ दिया,, जिस कारण पानी साफ करने का सपना अधूरा ही रह गया। इस चैंबर में आज सिवाए कचरे के कुछ नजर नहीं आता। नाले के पानी के कारण सीवरेज प्लांट की जमीन भी क्षतिग्रस्त होने लगी है।

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परवान नहीं चढ़ी योजना

लाखों रुपये खर्च करने के बाद 12 वर्ष बीत जाने पर भी देविका के पानी को स्वच्छ बनाने की योजना परवान नहीं चढ़ी। आलम यह है कि जिस जगह पर यह प्लांट लगाया गया था आज वहां पर पर कचरा बिखरे होने के साथ ही छोटे बच्चे खेलते नजर आते हैं।

क्या था सीवरेज प्लांट प्रोजेक्ट

वर्ष 2002-03 में लगभग चालीस लाख की लागत से देविका नदी के पानी को स्वच्छ करने के लिए सीवरेज प्लांट बनाया गया। इसमें 12 हजार गैलन पानी प्लांट के माध्यम से साफ करने के बाद इसे फिर से देविका में डाला जाना था। इसके साथ ही देविका के साथ गुजर रहे गंदे नालों के पानी की निकासी के लिए एक पाइप के माध्यम से नाले के पानी को दूसरी ओर मोड़ना था, ताकि गंदे नालों का पानी देविका नदी तक न पहुंच सके।

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फेल हो गया प्रोजेक्ट

प्रोजेक्ट बन कर तैयार होने के बाद कुछ देर तक पानी को साफ करने के लिए इसे चलाया गया, लेकिन प्लांट में साफ करने के लिए देविका का पानी मोड़ने पर देविका में पानी पूरी तरह से सूख जाता। देविका में पानी न होने की वजह से किनारे स्थित बावलियों का जल स्तर भी कम होने लग गया, जिसे लेकर स्थानीय लोगों ने काफी विरोध किया। इस वजह से प्लांट को बंद ही रखा गया और फिर दोबारा कभी ऐसा प्रयास नहीं किया गया। समय की मार झेलते हुए पिछले बारह वर्षों से बंद पड़ा यह प्लांट भी अब धीरे धीरे क्षतिग्रस्त होने लगा है।


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