जल्द ही कुष्ठ रोग से मुक्त होगा जिला
अमित माही, ऊधमपुर : जिला कुष्ठ रोग से मुक्त होने वाला है। मौजूदा समय में पूरे जिले में सिर्फ छह मरीज पाए गए हैं। यह आंकड़ा डब्लूएचओ के मानकों से काफी कम है। जो मामले सामने आए हैं वह भी दूर-दराज के गांवों से जुड़े हैं। जिले की बदलती तस्वीर को लेकर स्वास्थ्य विभाग भी उत्साहित है।
जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. सोम सिंह ने बताया कि जिले में कुष्ठ रोग लगभग समाप्त होने के कगार पर पहुंच चुका है। उन्होंने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस वर्ष के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जो लक्ष्य निर्धारित किया है, उसके मुताबिक प्रति दस हजार लोगों में एक से अधिक कुष्ठ रोगी नहीं होना चाहिए। जबकि वर्ष 2011 की प्रस्तावित जनसंख्या के मुताबिक 5.55 लाख की आबादी जिला ऊधमपुर में पिछले वर्ष कुष्ठ रोग के दस नए मामले मिले थे और इस वित वर्ष के छह महीनों में भी अब तक कुष्ठ रोग के पांच ही नए मामले सामने आए हैं। इस हिसाब से ऊधमपुर में तकरीबन 55 हजार लोगों पर एक कुष्ठ रोग का मामला मिल रहा है। यह विश्व स्वास्थ्य संगठन के निर्धारित लक्ष्य से पांच गुना से भी कम है।
दूरदराज के इलाकों में मिल रहे अधिकांश मामले
डॉ. सोम सिंह के मुताबिक सबसे ज्यादा मामले जिले के पंचैरी, रामनगर व डुडु बसंतगढ़ ब्लॉक से मिल रहे हैं। इनमें से ज्यादातर मरीजों का कुष्ठ रोग का पारिवारिक इतिहास(हेरीडेटरी ) होता है, या फिर वह लंबे समय से किसी कुष्ठ रोगी के संपर्क में रहने वाले होते हैं। उन्होंने बताया कि लंबे समय तक संपर्क में रहे बिना कुष्ठ रोग एक से दूसरे व्यक्ति के शरीर में नहीं पहुंचता। कुष्ठ रोग के मरीज सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं न अपनाने वाले और इनके प्रति जागरूक न होने वाले होते हैं। शहर में भी इक्का दुक्का मामले मिलते हैं, लेकिन इनमें से भी ज्यादातर प्रवासी मजदूर या फिर बाहरी राज्यों से यहां आकर काम करने वाले लोग ही होते हैं।
मल्टी ड्रग थेरेपी से होता है शत प्रतिशत उपचार
कुष्ठ रोग का उपचार शत प्रतिशत संभव है। इसके लिए पॉसी वेस्लरी श्रेणी के मरीजों को छह माह का कोर्स और मल्टी वेस्लरी को एक वर्ष का कोर्स करवाया जाता है। मल्टी ड्रग थेरेपी(एमडीटी) के तहत उपचार के दौरान कुष्ठ रोगी को पहली बूस्टर डोज दी जाती है। इसके साथ ही रोगी में इस रोग को फैलाने की क्षमता समाप्त हो जाती है। इसके बाद रोगी के कुष्ठ रोग के स्तर के मुताबिक उसे छह माह या एक वर्ष के कोर्स के तहत दवा दी जाती है। कोर्स पूरा करने के साथ कुष्ठ रोगी ठीक हो चुका होता है।
हल्के या गहरे रंग के निशान होने पर कराएं जांच
डॉ. सोम सिंह ने बताया कि कुष्ठ रोग शरीर पर निशान के रूप में उभरता है। यह चमड़ी से हल्के या फिर चमड़ी से गहरे रंग के हो सकते है। निशान वाली जगह पर बाल झड़ने के साथ वहां पर किसी प्रकार की संवेदना महसूस नहीं होती, जिनके परिवार में कुष्ठ रोग का इतिहास रहा तो उनको अवश्य अपनी जांच करानी चाहिए। इसके अलावा शरीर पर दाग नजर आते ही उसकी जांच करानी चाहिए। उन्होंने बताया कि कुष्ठ रोग का वायरस का इंकुबेशन पीरियड दो सामान्यता दो वर्ष से पांच वर्ष तक होता है, मगर कई मामलों में इंकुबेशन पीरियड 20 वर्ष भी हो सकता है। वायरस के शरीर में प्रवेश के बाद लक्षण नजर आने तक की अवधि को इंकुबेशन पीरियड कहते हैं।
घर-घर कुष्ठ रोग की जांच करेंगी टीमें
दूरदराज के इलाकों में तो कुष्ठ रोग की जांच की जाती, लेकिन कुष्ठ रोग को जड़ से समाप्त करने के लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम शहरी इलाकों में घर-घर जाकर कुष्ठ रोग की जांच करेगी। डॉ. सोम सिंह ने बताया कि इसके लिए 18 व 19 अक्टूबर को दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर आयोजित कर मेडिकल अफसरों को रिफ्रेशर कोर्स करवाया जा चुका है। स्वास्थ्य विभाग की टीम, जिसमें मेडिकल अफसर, आंगनबाड़ी, आशा व हेल्थ वर्कर्स घर घर जाकर कुष्ठ रोग के बारे में पूछताछ व जांच करेगी। जिस किसी में लक्षण पाया जाएगा उसे जांच के लिए भेजा जाएगा। अभियान शुरू करने का दिन तो निर्धारित नहीं किया है, लेकिन अगले सप्ताह में शुरू कर दिया जाएगा। इसके बाद दूसरे चरण में ऐसा ही जिले के अन्य कस्बों में भी अभियान चला जाएगा।
इनसेट करें
जिले में कुष्ठ रोग के मिले नए मरीज, उपचार ले चुके (आरएफटी) व ले रहे मरीजों के आंकडे़
वर्ष नए आरएफटी उपचाराधीन
2013-14 5 5 09
2012-13 10 11 09
2011-12 13 9 10
2010-11 5 15 06
2009-10 13 12 आंकड़े उपलब्ध नहीं
स्रोत :-डॉ. सोम सिंह
जिला स्वास्थ्य अधिकारी
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