एनआइए ने कश्मीर में आतंकी फंडिंग की परतों को खंगालना शुरू कर दिया है
एनआइए जानना चाहती है कि पिछले कुछ सालों में पाकिस्तान से कितना पैसा किस-किस रास्ते से आया और किसको कितना हिस्सा दिया गया।
श्रीनगर, [जागरण ब्यूरो] । हुर्रियत नेताओं से शुरुआती पूछताछ के बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) ने कश्मीर में आतंकी फंडिंग की परतों को खंगालना शुरू कर दिया है। इसके लिए हवाला के मार्फत आने वाले फंड के साथ-साथ सीमा से व्यापार की आड़ में होने वाली फंडिंग की भी जांच की जा रही है।
श्रीनगर में एनआइए के सवालों के साफ-साफ जवाब नहीं देने वाले तीन हुर्रियत नेताओं पर शिकंजा कसते हुए एनआइए ने दिल्ली स्थित मुख्यालय में उनसे पूछताछ शुरू कर दी है, जो अगले कई दिनों तक जारी रह सकती है।
एनआइए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि हुर्रियत नेता बिट्टा कराटे, जावेद अहमद और नईम खान से श्रीनगर में कई दौर की पूछताछ की गई, लेकिन वे सवालों का सीधा जवाब नहीं दे रहे थे। इस दौरान एनआइए को पता चला कि आतंकी फंडिंग के पैसे से इन अलगाववादी नेताओं ने घाटी में करोड़ों की बेनामी संपत्ति बना रखी है।
इसी कारण उन्हें दिल्ली में अपनी संपत्ति और बैंक अकाउंट के सारे दस्तावेजों के साथ बुलाया गया। उन्होंने कहा कि तीनों से आमने-सामने बिठाकर पूछताछ की जा रही है। एनआइए जानना चाहती है कि पिछले कुछ सालों में पाकिस्तान से कितना पैसा किस-किस रास्ते से आया और किसको कितना हिस्सा दिया गया। विदेश में इनकी किस-किस से मुलाकात हुई।
घाटी में आतंकी फंडिंग से जुड़े इन तीनों नेताओं से सीमा पार व्यापार के रास्ते आने वाले पैसे के बारे में भी पूछताछ की जाएगी। एनआइए पहले से ही इस मामले की जांच कर रही है और घाटी के 40 व्यापारियों से पूछताछ कर चुकी है।
इस पूछताछ के आधार पर एनआइए की जांच से साफ हुआ है कि 2008 से 2016 के बीच भारत मे फर्जी ट्रेडिंग कंपनी के जरिये पुंछ और उड़ी के रास्ते व्यापार के नाम पर 1,550 करोड़ रुपये आ गए। एनआइए यह जानने की कोशिश करेगी कि किन-किन व्यापारियों के मार्फत किन-किन अलगाववादी नेताओं तक यह पैसा पहुंचा। एनआइए सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान में सीमा पार से इस व्यापार को देखने के लिए पाक सेना ने अपने एक सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर को लगा रखा था।
वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इतनी बड़ी रकम के लेन-देन की पूरी पड़ताल जरूरी है। जिन व्यापारियों से अब तक पूछताछ हुई है उनसे खुलासा हुआ है कि ये व्यापारी पाकिस्तानी व्यापारियों से दुबई और पेरिस में मुलाकात करते थे। वहां उन्हें इस बात के निर्देश दिए जाते थे कि घाटी में हुर्रियत नेताओं और आतंकियों के पास पैसा कैसे और कहां पहुंचना है।