आपदा से निपटने के लिए 300 स्वयंसेवी होंगे प्रशिक्षित
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : राज्य के प्रत्येक जिले में आपदा की स्थिति से निपटने और उसके प्रबंधन के लिए 3
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : राज्य के प्रत्येक जिले में आपदा की स्थिति से निपटने और उसके प्रबंधन के लिए 300 स्वयंसेवियों को प्रशिक्षित किया जाएगा। राजस्व, राहत एवं पुनर्वास मंत्री अब्दुल रहमान वीरी ने वीरवार को घटना प्रतिक्रिया प्रणाली (आइआरएस) पर आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए यह जानकारी दी।
आइआरएस का आयोजन राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण व राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के सहयोग से जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण श्रीनगर ने किया है। उद्घाटन समारोह में राजस्व वित्तायुक्तलोकेश झा, झेलम और तवी बाढ़ बहाली परियोजना के सीईओ संदीप नायक, मंडलायुक्तकश्मीर बसीर अहमद खान, उपायुक्त श्रीनगर डॉ. फारूक अहमद लोन, पीडीडी के मुख्य अभियंता (सिस्टम एंड ऑपरेशन) अग्नि सेवा निदेशक, एसडीएमए निदेशक आमिर अली, एसएसपी टै्रफिक श्रीनगर व राजस्व, पुलिस व अन्य विभागों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
राजस्व मंत्री ने कहा कि जम्मू-कश्मीर भूकंप, बाढ़ समेत कई आपदाओं की दृष्टि से संवेदनशील जोन में आता है। आपदाओं के प्रभाव को कम करने के लिए प्रत्येक जिले में स्वयंसेवियों को प्रशिक्षित कर उन्हें प्रोत्साहित करना अनिवार्य है।
बेशक आज विज्ञान ने बहुत तरक्की की है। अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी का विस्तार और प्रसार भी हो चुका है। इसके बावजूद हम भूकंप, बादल फटने जैसी आपदाओं का अनुमान नहीं लगा सकते। इसलिए ऐसी घटनाओं ंसे निपटने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए।
वर्ष 2014 में आई बाढ़ में लोगों की जान बचाने के लिए स्वयंसेवियों की भूमिका की सराहना करते हुए वीरी ने कहा कि इस तरह की स्थितियों में पड़ोसी और मित्र ही सबसे पहले पहुंचते हैं। अगर वह प्रशिक्षित हों तो बहुत लाभ होता है। उन्होंने प्रत्येक जिले में आइआरएस कार्यशाला के आयोजन पर जोर देते हुए कहा कि इनमें युवाओं की भागेदारी सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
वीरी ने कहा कि आपदाओं के दौरान मानवीय और वित्तीय हानि को कम करने के लिए राज्य सरकार ने आपदाओं के जोखिम को कम करने की गतिविधियों को विकास योजनाओं संग एकीकरण प्रणाली को अपनाया है। बाढ़ और भूकंप की दृष्टि से राज्य की भौगोलिक संवेदनशीलता का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि भविष्य में आपदाओं से बचने के लिए आधुनिक तकनीक के सहारे ऐसे ढंाचे तैयार किए जा रहे हैं, जो आपदाओं में खड़े रह सकें।