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अन्य राज्यों के श्रमिकों का डाटा किया जा रहा तैयार

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : कश्मीर में पुलिस ने गैर रियासती श्रमिकों का डाटा बेस तैयार करने की प्रक्रिया

By JagranEdited By: Published: Fri, 21 Jul 2017 02:05 AM (IST)Updated: Fri, 21 Jul 2017 02:05 AM (IST)
अन्य राज्यों के श्रमिकों का  डाटा किया जा रहा तैयार
अन्य राज्यों के श्रमिकों का डाटा किया जा रहा तैयार

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : कश्मीर में पुलिस ने गैर रियासती श्रमिकों का डाटा बेस तैयार करने की प्रक्रिया शुरूकी है। घाटी में विध्वंसकारी गतिविधियों में अन्य राज्यों के श्रमिकों की मदद लेने की साजिश का खुलासा होने के बाद पुलिस हरकत में आई है।

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10 जुलाई को ग्रीष्मकालीन राजधानी में आइजीपी कश्मीर मुनीर खान ने श्रमिक संदीप शर्मा उर्फ आदिल निवासी उत्तर प्रदेश को लश्कर का सक्रिय आतंकी बताया था। उसने बशीर लश्करी नामक आतंक कमांडर के साथ मिलकर जून में अनंतनाग में थाना प्रभारी समेत छह पुलिसकर्मियों की हत्या को अंजाम दिया था। संदीप के पकड़े जाने के बाद सुरक्षा एजेंसियों के राडार पर कश्मीर में आने वाले गैर रियासती श्रमिक भी आ गए थे। राज्य पुलिस के एक अधिकारी के अनुसार, अन्य राज्यों से आने वाले कई श्रमिकों का पुराना आपराधिक रिकॉर्ड होता है, और वह अपने क्षेत्र में कानून के डंडे से बचने के लिए कश्मीर का रुख कर लेते हैं। यहां उन्हें कोई पहचानता नहीं है। कई बार यह लोग यहां चोरी, शराबखोरी, नशीले पदार्थाें की तस्करी के आरोप में पकड़े भी गए हैं। संदीप ने कई खुलासे किए हैं। इसके मद्देनजर कश्मीर में काम कर रहे बाहरी श्रमिकों का डाटा बेस तैयार किया जा रहा है। वादी के प्रत्येक शहर,कस्बे और गांव में रह रहे श्रमिकों का पूरा ब्योरा जुटाया जा रहा है। इसमें स्थानीय पुलिसकर्मियों व अन्य संबंधित एजेंसियों की मदद भी ली जा रही है। डाटा बेस में श्रमिक का नाम, उसके घर, परिवार की जानकारी, उसकी उम्र, वह कश्मीर में कब से आ रहा है, कश्मीर में किस-किस जगह काम किया है, क्या कोई उसका पुराना आपराधिक रिकॉर्ड है या नहीं, वह किस मजहब से है, सभी जानकारियां जमा की जा रही हैं। आइजीपी कश्मीर मुनीर खान ने कहा कि श्रमिकों का सर्वे जरूरी है। यह सिर्फ कश्मीर में ही नहीं बल्कि देश के अन्य भागों में भी आतंकियों के मददगार साबित हो सकते हैं। सामान्य तौर पर कश्मीर में बाहरी श्रमिक मार्च के दौरान आना शुरू होते हैं और अक्टूबर तक ही रहते हैं। सर्वे के दौरान जमा की जाने वाली जानकारियों के आधार पर बाहरी श्रमिकों की अपने आप स्क्रीनिंग भी हो जाएगी। हम संबंधित राज्यों की पुलिस से भी संपर्क करेंगे। संदीप का एक मामला हमारी नजर में आया है, ऐसे और भी कई मामले हो सकतेहैं। लश्कर के साथ संदीप के जुड़े होने के बाद अन्य आतंकी संगठन कई बाहरी श्रमिकों को पैसे का लालच देकर या किसी अन्य वजह से अपने साथ जोड़ सकते हैं। कश्मीर में आने वाले बाहरी श्रमिकों का सही आंकड़ा राज्य श्रम विभाग के पास भी नहीं है। अनुमान के मुताबिक, हर साल पांच से छह लाख गैर रियासती श्रमिक कश्मीर में आते हैं। इनके अलावा 50 हजार से ज्यादा गैर रियासती श्रमिक जिनमें नाई, तरखान,हलवाई हैं, स्थायी तौर पर कश्मीर में ही रहते हैं। इनमें से 95वें प्रतिशत मुस्लिम ही हैं।


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