..नाम के साथ पंडित नहीं जुड़ा होता तो बच जाती जान
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : जामिया मस्जिद के बाहर शब-ए-कद्र की रात डीएसपी मुहम्मद अयूब पंडित की हत्या क
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : जामिया मस्जिद के बाहर शब-ए-कद्र की रात डीएसपी मुहम्मद अयूब पंडित की हत्या को लेकर तरह-तरह की बातें हो रही हैं। दिवंगत के परिजनों के अनुसार, अगर नाम के साथ पंडित नहीं जुड़ा होता तो शायद जान बच जाती।
शहीद डीएसपी के रिश्तेदारों के मुताबिक, भीड़ ने मुहम्मद अयूब पर यह सोचकर हमला किया होगा कि वह कश्मीरी पंडित है, क्योंकि उसके पास जो विभागीय पहचान पत्र था, उस पर उसका नाम मुहम्मद अयूब पंडित के बजाय एमए पंडित लिखा हुआ था।
गौरतलब है कि कश्मीर घाटी में अधिसंख्य मुस्लिम आबादी मूल रूप से कश्मीरी पंडित समुदाय से जुड़ी है। यह लोग धर्मातरण के बाद मुस्लिम बने हैं और कई लोग आज भी अपने मुस्लिम नाम के साथ अपने पुराने नाम जोड़ कर लिखते हैं। कश्मीरी पंडित समुदाय में पंडित नामक एक जात है और इस जात से मुस्लिम बने लोग अपने नाम के साथ पंडित लिखते हैं।
दिवंगत के एक परिजन ने कहा कि मुहम्मद अयूब के सरकारी पहचानपत्र पर पंडित लिखा हुआ था। यह उसके विभाग की गलती है। उसने कहा कि अक्सर जब कश्मीर में किसी जगह शरारती तत्व और हुर्रियत समर्थक पत्थरबाज किसी पुलिसकर्मी को पकड़ते हैं तो सबसे पहले वह उसका पहचानपत्र देखते हैं। मुहम्मद अयूब के पहचानपत्र पर एमए पंडित लिखा हुआ था और दूसरा वह डीएसपी था। इसलिए वहां मौजूद भीड़ को संदेह हुआ होगा कि वह वहां पत्थरबाजों की मुखबिरी करने आया है।