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अलगाववाद की भीड़ में राष्ट्रवाद का जोश

नवीन नवाज, श्रीनगर हिजबुल मुजाहिद्दीन के दुर्दात आतंकी सब्जार की मौत के बाद पूरी वादी में तनाव बन

By JagranEdited By: Published: Mon, 29 May 2017 02:43 AM (IST)Updated: Mon, 29 May 2017 02:43 AM (IST)
अलगाववाद की भीड़  में राष्ट्रवाद का जोश
अलगाववाद की भीड़ में राष्ट्रवाद का जोश

नवीन नवाज, श्रीनगर

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हिजबुल मुजाहिद्दीन के दुर्दात आतंकी सब्जार की मौत के बाद पूरी वादी में तनाव बना हुआ है। जनजीवन ठप है। ¨हसा का दौर जारी है। ऐसा लग रहा है कि पूरे कश्मीर में राष्ट्रवाद कहीं नहीं है, लेकिन पट्टन के हैदरबेग में युवा जोश राष्ट्रवाद की हिलोरे मार रहा था। कश्मीर के विभिन्न हिस्सों से 800 नौजवान भारतीय सेना में शामिल होने के लिए खुले मैदान में बेखौफ परीक्षा दे रहे थे।

गत शनिवार को आतंकी सब्जार के मारे जाने के बाद से अलगाववादियों ने दो दिवसीय कश्मीर बंद का आह्वान कर रखा है। बिगड़े हालात पर काबू पाने के लिए कई इलाकों में क‌र्फ्यू लगा है। ऐसे में आम लोगों का एक से दूसरी जगह जाना असंभव है। यह मुश्किल उन नौजवानों को कहीं नजर नहीं आई जो गहरे हरे रंग की वर्दी पहनने का ख्वाब संझोए सुबह घर से निकले। सेना ने टेक्निकल, ट्रेडसमैन और जनरल ड्यूटी के तहत फौजी बनने के इच्छुक युवकों के लिए कामन एंट्रेंस परीक्षा आयोजित की थी। यह परीक्षा श्रीनगर के अलावा उत्तरी कश्मीर में हैदरबेग पट्टन में हुई। डेढ़ हजार युवाओं को शारीरिक दमखम और स्वास्थ्य परीक्षण में सफलता के बाद इसमें बैठने का मौका मिला था। हैदरबेग में मौजूद एक अधिकारी ने कहा कि वादी में पैदा हालात को देखते हुए सभी को सुबह आशंका थी कि परीक्षा में शायद भाग लेने कोई नौजवान आए। आतंकियों द्वारा विभिन्न इलाकों में स्थानीय लोगों को सेना में भर्ती होने से रोकने के लिए फरमान सुनाए जा रहे हैं, मस्जिदों से एलान कराए जा रहे हैं। यहां सुबह नौ बजे से पहले ही परीक्षा के लिए अभ्यर्थी जमा होने लगे थे। यह हमारे लिए हैरानी थी। परीक्षा में भाग लेने आए बीरवाह निवासी अख्तर हुसैन ने कहा कि हमारे इलाके में सुबह ही पथराव शुरू हो गया था। गाडि़यां भी बंद थी, लेकिन यहां पहुंचना जरूरी था। सुबह सूरज निकलने से पहले ही घर से निकला था। मेरे गांव से तीन लड़के और आए हैं। मेजर नितिन लीतुल गोगोई के मामले का जिक्र करने पर उसने कहा कि यह घटना हमारे इलाके की है। मेजर साहब ने सही किया या गलत, यह बात बाद की है, पहली बात यह कि उस दिन वहां किसी का जनाजा नहीं उठा। किसी की मौत होती तो क्या आपको अच्छा लगता। अगर कोई मरता तो आज तक यहां हालात बिगड़े होते। रही बात हमारी फौज में भर्ती होने की तो मैं ट्रेडसमैन बनने आया हूं। बाहर भी मेरे लिए बहुत काम है, लेकिन फौज में भर्ती होने के अपने मायने हैं।

भीड़ और जोश सेना रोमांचित

उत्तरी कश्मीर में आतंकरोधी अभियानों का जिम्मा संभाल रही सेना की किलो फोर्स की जीओसी मेजर जनरल एके सिंह ने कहा कि यहां इन लड़कों की भीड़ और जोश मुझे भी रोमांचित कर रहा है। जो लोग कहते हैं कि कश्मीरियों को ¨हदोस्तान की फौज से नफरत है, वह काश आज यहां होते। पूरे कश्मीर में अलगाववादियों का बंद है, एक आतंक कमांडर मरा है और उसके बावजूद यहां युवाओं का फौजी बनने आना, कश्मीर की वह हकीकत है,जिसे कुछ राष्ट्रविरोधी तत्व पर्दे से बाहर नहीं आने देना चाहते। हमारा प्रयास है कश्मीरी नौजवानों को शरारती तत्वों के दुष्प्रचार से बचाते हुए उनका भविष्य संवारा जाए। उन्हें रचनात्मक और राष्ट्रनिर्माण की गतिविधियों में प्रोत्साहित किया जाए।

अलगाववादियों के फरमान को ठेंगा

रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता कर्नल राजेश कालिया ने कहा कि हैदरबेग में 815 लोगों ने परीक्षा में बैठना था। सिर्फ 16 ही नहीं पहुंचे। अन्य 799 उम्मीदवार परीक्षा में शामिल हुए हैं। श्रीनगर में 502 में से 493 उम्मीदवार परीक्षा में बैठे हैं। इससे साफ है कि कश्मीरी नौजवान अलगाववादियों के फरमान पर अब कान नहीं धरता। वह अलगाववाद की तरफ नहीं भारतीय राष्ट्रवाद का झंडा थाम रोशन मुस्तकबिल की तरफ जाना चाहता है।


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