वृद्धा पेंशन के लिए दफ्तरों के काट रहे चक्कर
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : 72 वर्षीय एजाज मीर और उसकी पत्नी फाता बेगम ने तीन साल पहले वृद्घा पेंशन के ल
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : 72 वर्षीय एजाज मीर और उसकी पत्नी फाता बेगम ने तीन साल पहले वृद्घा पेंशन के लिए समाज कल्याण विभाग में आवेदन किया था। अधिकारियों के कहने पर जम्मू-कश्मीर बैंक में खाता भी खुलवाया, लेकिन आज तक खाते में पैसे नहीं आए हैं। हर महीने बुजुर्ग मियां-बीवी इस उम्मीद में कि उन्हें पेंशन मिलेगी, आठ किलोमीटर पैदल चलकर बैंक पहुंचते हैं, लेकिन वापसी का आठ किलोमीटर मायूसी के कारण आठ हजार किलोमीटर बन जाता है।
जिला बडगाम में खानसाहब से सटे केनरु गांव के रहने वाले एजाज मीर और उसकी पत्नी फाता कोई अकेली नहीं है, जो इस पीड़ा को झेल रही है। ऐसे एक नहीं हजारों मामले कश्मीर में हैं, जो राज्य सरकार की ओर से गरीबों, निराश्रितों और विधवाओं के कल्याण के लिए हर संभव कदम उठाने और विभिन्न योजनाओं को शुरू करने के दावों की पोल खोलते हैं।
एजाज और उसकी पत्नी फाता फिर भी खुशनसीब हैं। कई ऐसे भी हैं, जिनका नियमों पर खरा उतरने के बावजूद पंजीकरण नहीं हो पाया है। श्रीनगर और उसके आसपास के इलाकों में वर्ष 2009 तक समाज कल्याण विभाग की विभिन्न पेंशन योजनाओं के लिए 35 हजार लोग पंजीकृत थे। आठ साल बीत जाने के बावजूद 2017 में भी यही आंकड़ा है। इनमें से करीब 18 हजार लोगों को आज तक पेंशन नहीं मिली है। पेंशन की राशि भी अधिकतम एक हजार ही है।
वर्ष 2006 में एक सड़क हादसे में अपने पति को गंवा चुकी आयशा अख्तर ने श्रीनगर जिला उपायुक्त कार्यालय परिसर में अपनी आपबीती सुनाते हुए कहा कि मैंने लगभग 11 साल पहले विधवा पेंशन के लिए फार्म भरा था, लेकिन आज तक कोई पेंशन नहीं मिली है। अधिकारियों से बात करो तो कहते हैं कि जल्द ही आपको भी पेंशन मिलेगी। यहां कोई बड़ी सिफारिश से ही काम चलेगा।
निदेशक समाज कल्याण विभाग तारिक अहमद ने कहा कि यह सही है कि श्रीनगर में करीब 18 हजार आवेदकों को पेंशन नहीं मिली है। यह लंबित मामलों की श्रेणी में डाले गए हैं। हमारे पास पर्याप्त वित्तीय संसाधन नहीं है कि इन्हें पेंशन दी जा सके। अगर किसी लंबित मामले में आवेदक की मृत्यु हो जाती है तो हम उसके उत्तराधिकारी का नाम संबंधित आवेदन में जोड़ लेते हैं।
समाज कल्याण विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि श्रीनगर जिले में ही 30 हजार से ज्यादा मामले पंजीकरण के लिए लंबित पड़े हुए हैं। इन मामलों की संख्या लगातार बढ़ रही है। अधिकांश आवेदनों की फाइलें अलमारी में बंद रहती है, क्योंकि उन्हें तभी आगे बढ़ाया जाएगा, जब विभाग के पास पैसा होगा।
समाज कल्याण मंत्री आसिया नक्काश ने लंबित मामलों की पुष्टि करते हुए कहा कि इस समय दो लाख से ज्यादा मामले पंजीकरण के लिए लंबित पड़े हुए हैं। हमारे वित्तीय संसाधन सीमित हैं और केंद्र से हमें सालाना 200 करोड़ ही मिलता है। यह राशि बहुत कम है। इसके बावजूद हम सभी जरूरतमंद और पात्र लोगों को पेंशन उपलब्ध कराने के लिए प्रयासरत रहते हैं। मैं इस तथ्य से सहमत नहीं हूं कि 15 हजार से ज्यादा लोगों को पेंशन कभी नहीं मिली है। मेरे पास यह शिकायत कभी नहीं आई। अलबत्ता, इस मामले की जांच की जाएगी।