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तीन अफसरों समेत पंद्रह सीआरपीएफ जवान दोषी

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : राज्य मानवाधिकार आयोग ने 27 साल पहले श्रीनगर के हवल इलाके में मीरवाइज मौल

By Edited By: Published: Fri, 17 Feb 2017 02:21 AM (IST)Updated: Fri, 17 Feb 2017 02:21 AM (IST)
तीन अफसरों समेत पंद्रह सीआरपीएफ जवान दोषी
तीन अफसरों समेत पंद्रह सीआरपीएफ जवान दोषी

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : राज्य मानवाधिकार आयोग ने 27 साल पहले श्रीनगर के हवल इलाके में मीरवाइज मौलवी फारूक अहमद के जनाजे पर फायरिंग में 70 लोगों की मौत की जांच में तीन अधिकारियों समेत 15 सीआरपीएफ कर्मियों को दोषी ठहराया है। उल्लेखनीय है कि मीरवाइज को 21 मई 1990 को हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकियों ने मौत के घाट उतारा था। उनके जनाजे के दौरान हवल स्थित इस्लामिया कॉलेज के पास सुरक्षाबलों ने कथित आतंकियों की गोली के जवाब में गोली चलाई थी। इस दौरान 70 लोग मारे गए थे।

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राज्य मानवाधिकार आयोग के जांच अधिकारी मसूद अहमद बेग ने अंतरिम रिपोर्ट में तत्कालीन जांच अधिकारी एन सर्वदा जोकि उस समय एएसपी पुलिस मुख्यालय थे, पर जांच में पक्षपात और उदासीनता बरतने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि मई से अगस्त 1990 तक किसी भी प्रत्यक्षदर्शी का बयान दर्ज नहीं किया। वह सिर्फ आतंकियों को हमले के लिए जिम्मेदार ठहराने वाले सीआरपीएफ अधिकारियों के बयान दर्ज करते रहे। एन सर्वदा ने मारे गए और जख्मी हुए लोगों की सूची भी जमा नहीं की। उन्होंने अपने स्थानांतरण के समय केस फाइल नौहटटा पुलिस स्टेशन को सौंपते हुए उन चीजों का भी कोई जिक्र नहीं किया जो घटनास्थल से जब्त की गई थी।

अंतरिम रिपोर्ट में सीआरपीएफ द्वारा आतंकी हमले के जवाब में गोली चलाए जाने के दावे को भी नकारा गया है। रिपोर्ट में जांच अधिकारी ने लिखा है कि अगर आतंकियों ने फायरिंग की होती तो उसमें भी नागरिक मरते। सीआरपीएफ जवानों का यह दावा कि उन्हें जनाजे में ताबूत नजर नहीं आया, काफी हास्यास्पद है। यह तो लोगों ने कंधे पर उठा रखा था। अंतरिम रिपोर्ट के अनुसार,तत्कालीन आइजीपी सीआरपीएफ एमपी सिंह, वीएसएमडी आइजी सीआरपीएफ एनके तिवारी और सीआरपीएफ की 60वीं वाहनी के कमांडेंट के जांच पैनल द्वारा की गई कोर्ट आफ इंक्वायरी ने सीआरपीएफ की 69वीं वाहिनी के 15 लोगों को हवल कांड के लिए जिम्मेदार ठहराया है। इनमें तत्कालीन डीएसपी लखन सिंह, सब इंस्पेक्टर मुख्तार सिंह,सब इंस्पेक्टर राजेंद्र सिंह, लांसनायक सतपाल सिंह,कांस्टेबल टीए परम, कांस्टेबल गालिब खान, कांस्टेबल देशराज, कांस्टेबल डी कृष्णा, कांस्टेबल ओम सिंह,कांस्टेबल प्रेम सिंह, कांस्टेबल वाई कृष्णा, कांस्टेबल वाई शुक्ला,लांसनायक डीएन सिंह, लांसनायक एके मिटा और एक अन्य कास्टेबल जिसका नाम मालूम नहीं होपाया है,शामिल है। जांच अधिकारी ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट में लिखा है कि यह मामला 27 साल पुराना है। अगर इस दौरान किसी गवाह अथवा सुबूत की प्रासंगिकता नहीं रहती है तो इसके लिए पूर्व जांच अधिकारी एन सर्वदा ही जिम्मेदार होंगे। फिलहाल, हमने कुछ दस्तावेज संबंधित विभागों से मंगाए हैं। हवलकांड में जख्मी हुए लोगों और घटना के प्रत्यक्षदर्शियों से नए सिरे से संपर्क कर उनके बयान दर्ज करने का प्रयास किया जाए और जांच को अंतिम रूप देकर पूरी रिपोर्ट अगले कुछमाहह में मानवाधिकार आयोग को सौंपी जाएगी।


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