पत्थरबाजी में लिप्त छात्रों की रिहाई की प्रक्रिया शुरू
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : पत्थरबाजी में लिप्त नाबालिग छात्रों और किशोरों को सुधरने का मौका देते हुए पु
राज्य ब्यूरो, श्रीनगर : पत्थरबाजी में लिप्त नाबालिग छात्रों और किशोरों को सुधरने का मौका देते हुए पुलिस ने काउंसिलिंग के बाद उनकी रिहाई की प्रक्रिया अपनाना शुरू कर दिया है। इसमें उनके अभिभावकों को भी हिस्सेदार बनाया जा रहा है। इसके तहत शुक्रवार को बारामुला में पत्थरबाजों की काउंसिलिंग हुई।
गौरतलब है कि कश्मीर घाटी में गत आठ जुलाई को आतंकी बुरहान वानी के मारे जाने के बाद से ही हिंसक प्रदर्शनों का दौर चला आ रहा है। पुलिस ने पत्थरबाजी में शामिल कई नाबालिग छात्रों के अलावा कई युवकों को पकड़ा है। इन सभी लड़कों को सुधार का मौका देने के लिए प्रशासन ने ऐसे सभी पत्थरबाजों को रिहा करने का फैसला किया है, जो गंभीर मामलों में लिप्त नहीं हैं और पेशेवर पत्थरबाज नहीं हैं।
इसी प्रक्रिया के तहत शुक्रवार को जिला बारामुला में पुलिस ने पत्थरबाजी में लिप्त कई युवकों की रिहाई की प्रक्रिया शुरू करते हुए उनकी काउंसिलिंग भी की। इस दौरान कई पत्थरबाजों ने खुलकर पथराव की बात कुबूलते हुए ऐसी घटनाओं में शामिल होने के कारणों पर रोशनी डाली।
एसएसपी बारामुला इम्तियाज हुसैन मीर ने डाक बंग्ले में आयोजित काउंसिलिंग की पुष्टि करते हुए बताया कि इस दौरान पुलिस अधिकारियों के अलावा कई सायकोलॉजिस्ट और बारामुला के गणमान्य नागरिक के साथ कई लड़कों के मां-बाप भी मौजूद थे।
उन्होंने कहा कि पत्थर मारने वाले कोई विदेशी आतंकी नहीं हैं। यह हमारे ही बच्चे हैं। हम चाहते हैं कि यह अपने जीवन में आगे बढ़ें। हम यह भी जानना चाहते हैं कि आखिर क्या वजह है कि यह लोग समाज के दुश्मन के हाथों गुमराह होकर अपनी जान खतरे में डालते हैं। क्यों कानून तोड़ते हैं। लड़कों ने कई बातें बताई हैं।
उन्होंने कहा कि हम इन बच्चों को काउंसिलिंग दे रहे हैं। इसके अलावा इनके मां-बाप से बातचीत की है। वह भी इनकी तरफ पूरा ध्यान देंगे ताकि यह पत्थरबाज नहीं बल्कि डॉक्टर, इंजीनियर बनें। देश का सिपाही बनें। हमने अभिभावकों व संबंधित इलाके के गणमान्य नागरिकों से भी इन लड़कों के दोबारा गलत काम में शामिल न होने का आश्वासन लिया है।
इसरार अहमद नामक एक बुजुर्ग ने कहा कि पुलिस का यह कदम बहुत अच्छा है। काउंसिलिंग के दौरान कुछ उलमा भी थे। उन्होंने इन बच्चों को इस्लाम की व्याख्या कर आसान शब्दों में समझाने का प्रयास किया है कि जिस रास्ते पर वह चल रहे हैं, वह सही इस्लाम नहीं है। सही इस्लाम तो सबकी हिफाजत, सबकी तरक्की, सबके लिए अमन और वतनपरस्ती की बात करता है।