डोगरी में होगा रावण व वेदवती का संवाद
जागरण संवाददाता, कठुआ : जिलेभर में रामलीला मंचन के लिए मंच तैयार हो चुके हैं। कलाकार विि
जागरण संवाददाता, कठुआ : जिलेभर में रामलीला मंचन के लिए मंच तैयार हो चुके हैं। कलाकार विभिन्न पात्रों को निभाने के लिए पिछले कई दिनों के अभ्यास को पूर्ण कर अब मंच पर विभिन्न पात्रों में अपनी कला से दर्शकों को मंत्रमुग्ध करने की तैयारी में हैं। जिला मुख्यालय पर श्रीराम नाटक सभा ने इस बार भी नवरात्र के लिए रामलीला मंचन को बेहतर ढंग से प्रदर्शित करने के लिए पूरी मेहनत की है, ताकि दर्शकों को मनोरंजन के साथ-साथ रामायण का ज्ञान भी दिया जा सके।
हालांकि इस बार भी राम नाटक सभा द्वारा पारंपरिक दृश्य दर्शाये जाएंगे, वहीं डोगरी भाषा को बढ़ावा देने के प्रयास जारी रखते हुए कुछ दृश्य में कलाकारों को डोगरी में संवाद करते दर्शक सुनेंगे। नाटक सभा के निर्देशक नीरज सिंह ने बताया कि इस बार मंच की सजावट गत वर्ष से भी अधिक सुंदर ढंग से की गई है। हर साल कुछ नया कर दिखाने के प्रयास में इस बार रावण व वेदवती का संवाद डोगरी में होगा। इससे पहले गत वर्ष श्रवण कुमार और उससे पहले पहली बार क्षीरसागर में विष्णु भगवान का संवाद भी डोगरी में दर्शाया गया था। जिसके चलते अब तीन दृश्य डोगरी में संवाद होंगे, जोकि डोगरी को बढ़ावा देने का प्रयास है।
पांच दशक पुरानी राम नाटक सभा में आज भी 80 के करीब लोग काम रहे हैं, जिसमें 50 कलाकार और 30 अन्य सहयोगी हैं। भगवान श्रीराम की भूमिका में पिछले कई वर्षो से अजय शर्मा ही होंगे, लेकिन कुछ दृश्यों में इस बार विश्व प्रताप सिंह भी दिखेंगे। हनुमान जी की भूमिका में पिछले 15 वर्ष से आशु गुप्ता ही होंगे। जबकि रावण की भूमिका अतुल थापा और माता सीता की भूमिका में कमल कुमार ही होंगे। नीरज सिंह का कहना है कि इंटरनेट के इस युग में भी रामलीला मंचन के प्रति दर्शकों का लगाव कम नहीं हुआ है, खासकर तीन वर्ष से और भी ज्यादा दर्शक स्क्रीन की बजाय लाइव दृश्यों को देखना पंसद करने लगे हैं। हर वर्ष की तरह नवरात्र पर शुक्रवार को शुरू होने वाले मंचन में इस बार विधायक राजीव जसरोटिया व डीसी रमेश कुमार उद्घाटन करेंगे।
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हनुमान जी की भूमिका निभाने वाले आशु गुप्ता नौ दिन तक जमीन पर सोते हैं
श्री राम नाटक क्लब कठुआ में हनुमान जी की भूमिका निभाने वाले आशु गुप्ता उनके चरित्र को भी अपने जीवन में व्यवहारिक रूप से अपनाने का प्रयास करते हैं। भले ही पूरे साल भर में नहीं, कम से कम रामलीला मंचन के दौरान वह पूरे सात्विक होकर जमीन पर सोते हैं। उनका कहना है कि जब कोई किसी देवता का पात्र निभाता है तो उस समय उस देवता का वास्तविक चरित्र व्यवहारिक जीवन में उतरने लगता है, हालांकि ऐसा आप उस देवता के प्रति कितनी श्रद्धा रखते हो, यह उस पर निर्भर करता है। वह जबसे हनुमान जी का पात्र निभा रहे हैं, तबसे ही वह जमीन पर सोते हैं। पात्र निभाने से पहले हनुमान जी की पूजा पूरी विधि से करने के बाद उनके वेश वाली वर्दी धारण करते हैं।