सरकार की अनदेखी आंदोलन को न्योता
बिलावर संवाद सहयोगी : पहाड़ी जिले के लिए कठुआ जिले की तीनों पहाड़ी तहसीलें बिलावर, बसोहली और बनी के लोग आवाज बुलंद कर रहें हैं, लेकिन राज्य सरकार जनता की भावनाओं की अनदेखी करती आ रही है। इसके परिणाम आने वाले समय में गंभीर हो सकते हैं। अभी तो जनता मुंह की भाषा बोल रही हैं, लेकिन पहाड़ी जिले की मांग को लेकर आंदोलन की तैयारी में हैं।
राज्य में जितनी भी सरकारें आई उनका एजेंडा कश्मीर केंद्रित रहा, जिस कारण आज भी पहाड़ी तहसीलें बिलावर, बसोहली और बनी के लोग मुश्किलों की चक्की में पिस रहे हैं। यह तभी खत्म होगी जब अलग जिला बनेगा।
-गणेश चंद्र
सरकार को अन्य राज्यों का दौरा अपने जनप्रतिनिधियों से करवाना चाहिए। जहां जनप्रतिनिधि सर्वे कर जाने कि वो क्षेत्र विकसित कैसे है। वहां की छोटी-छोटी प्रशासनिक यूनिट ही विकास की गारंटी है। इसलिए सरकार विकास से पिछड़ी पहाड़ी तहसीलों को जिला बनाकर क्षेत्र के विकास के लिए कदम उठाएं।
-रूप सिंह
तीनों तहसीलों में बेरोजगार युवाओं की फौज इकट्ठी हो गई हैं, जिनकी संख्या हजारों में है। यदि बिलावर बसोहली और बनी को मिलाकर अलग जिला बनता हैं तो युवाओं को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे।
-कमल देव शर्मा
यह तो सरकार की दोहरी मानसिकता ही है कि कश्मीर में 49 पंचायतों पर एक जिला हो सकता है तो फिर बनी, बसोहली और बिलावर तहसीलों की सैकड़ों पंचायतों पर एक अलग जिला क्यों नहीं हो सकता है।
-बोध राज
केरल राज्य में 9 वर्ग किलोमीटर में बड़ा माहे जिला बना हुआ है, जो आज हर सूरत में समृद्ध और विकसित है। यहां शिक्षा का फीसद सौ है। सरकार को चाहिए की तीनों पहाड़ी तहसीलों को मिलाकर एक अलग प्रशासनिक यूनिट का गठन कर क्षेत्र के रुके विकास को नई रफ्तार दें। -सुनित कुमार
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