विषय विकारों के कारण भोगने पड़ते हैं दुख : शास्त्री
संवाद सहयोगी, बिलावर : महाकाली मंदिर के प्रागण में चल रही महाशिवपुराण कथा के दौरान मंगलवार को तीसरे
संवाद सहयोगी, बिलावर : महाकाली मंदिर के प्रागण में चल रही महाशिवपुराण कथा के दौरान मंगलवार को तीसरे दिन संत सुभाष शास्त्री ने भक्तों को अपनी अमृतमयी वाणी से कथा सुनाकर मंत्रमुग्ध कर दिया। शास्त्री जी ने कथा सुनाते हुए कहा कि जब पार्वती जी ने भगवान शिव से सवाल पूछा था तो उन्होंने कहा था कि उमा मैं कहूं तुम से अनुभव अपना, सत्य हरिभजन, जगत सब सपना। अर्थात सत्संग से बड़ा उपाय प्रभु को पाने का और कोई इस जग में भी नहीं है। जो मनुष्य सत्य का साथ करता है उसकी अधिकतर शकाएं अपने आप ही मिट जाती हैं और फिर वह प्रभु नाम का प्यासा हो जाता है।
शास्त्री जी ने कहा कि सदैव मनुष्य अपने हितों के बारे में ही सोचता है, इसलिए उसके मन में यही विचार रहता है कि परमात्मा मृत्यु क्यों देते हैं। शास्त्री जी ने कहा कि ऐसे बहुत कम लोग हैं, जो यह जानते हैं कि परमात्मा हमें इसलिए फंसाते हैं कि हम छूटना जान जाएं। इस छूटने के चक्कर में आप गृहस्थ होते हुए भी साधु बन सकते हैं, क्योंकि गृहस्थ आश्रम की चौथी अवस्था संन्यास है। संत श्री ने कहा कि इंद्रियों की गुलामी ही कष्टों का कारण है। ऐसे में हम भगवान द्वारा बताए मार्ग, जाप से वैसे ही अपने मन पर नियंत्रण कर सकते हैं जैसे एक महावत विशालकाय हाथी पर एक छोटे से अस्त्र से करता है। कथा के अंत में आयोजक बीके बसोत्रा, गाधी पठानिया, कमलेश बसोत्रा, सुरेंद्र बिलोरिया आदि ने संत सुभाष शास्त्री जी की गुरु पूजा की।