खुले में शौच की सोच में बदलाव को लगेगा अभी समय
जागरण संवाददाता, कठुआ : जिले में खुले में शौच से अभी मुक्ति दूर की कौड़ी लग रही है। आज भी जिले की लगभ
जागरण संवाददाता, कठुआ : जिले में खुले में शौच से अभी मुक्ति दूर की कौड़ी लग रही है। आज भी जिले की लगभग 80 फीसद आबादी खुले में शौच को जाती है। हालांकि इसका मुख्य कारण जागरूकता का ही अभाव माना जाएगा। जबकि सच्चाई यह है कि गांवों में अभी भी 75 फीसद लोगों को शौचालयों की सुविधा नहीं है। जबकि शहरों में शौचालयों की सुविधा से मात्र 25 प्रतिशत लोग ही वंचित है।
नगर परिषद शहर में अभी 75 फीसद लोगों की गिनती खुले में शौच करने में गिन रही है। नगर परिषद का कहना है कि खुले में शोच से मुक्ति उसे ही कहा जाएगा, जहां सेप्टिक टैंक बनाकर शौचालय बनाया गया है। अगर किसी ने शौचालय की पाइप गली या मेन नाली में छोड़ रखी है तो उसे भी खुले में शोच करने की गिनती में गिना जाएगा। क्योंकि इससे स्वच्छता को और ज्यादा ग्रहण लगता है, जो पूरे मुहल्ले में गंदगी फैलाते हैं। ऐसी सोच के चलते स्वच्छ भारत मुहिम की सफलता अभी दूर की कौड़ी लग रही है। भले ही इस दिशा में सरकार ने नई योजनाएं लगाकर घर-घर में शौचालय बनाने के लिए आर्थिक सहायता भी दे रही है, लेकिन सोच को बदलने में अभी समय लगेगा।
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जागरूकता का अभाव
अक्सर देखा गया है कि स्वच्छ भारत मिशन के प्रति अभी ग्रामीण क्षेत्र में लोग जागरूक नहीं हो पाए हैं। इसके अलावा कई लोग अभी भी सुविधा होते हुए भी सोच नहीं बदल रहे हैं। हालांकि ग्रामीण क्षेत्र में आर्थिक अभाव के कारण भी कारण है। जिसके चलते लोग अपने स्तर पर घरों में शौचालय बनाने में असमर्थ है, लेकिन अब सरकार उनकी सहायता कर रही है। जिसके चलते जिला की अभी कुल 20 फीसद आबादी को ही शौचालय बनाने की सरकारी सहायता मिली है। जबकि शहरी क्षेत्र में दूसरी स्थिति है, जहां वहीं लोग शौचालय से वंचित हैं, जो उसका निर्माण कराने में असमर्थ हैं।
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खड्ड ही एक विकल्प
शहर के बीचो-बीच बहने वाली बरसाती खड्ड कई सालों से विशेषकर झुग्गियों में रहने वाले हजारों लोगों के लिए खुले में शौच करने का एक स्थान बना है। इससे शहर की स्वच्छता को ग्रहण लग रहा है। इसके अलावा इंदिरा कॉलोनी के समीप भी कॉलेज रोड, रेडियो स्टेशन, हटली मोड़, नहर के किनारे रामनगर कालोनी, मग्गर खड्ड सहित बरमोरा का क्षेत्र खुले में शौच करने वालों का मुख्य स्थान है। ग्रामीण क्षेत्रों में कई स्थानों पर मुख्य मार्ग के किनारे अधिकांश खुले में शौच करने का मुख्य स्थान बने हैं। खुले में शौच करने वाले लोगों को रोकने के लिए प्रशासन कोई सख्ती से कदम अभी तक नहीं उठा पाया है। यहीं कारण है कि ऐसे लोग बाज नहीं आ रहे हैं।
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ग्रामीण क्षेत्र का हाल बुरा
जिले में ग्रामीण क्षेत्र की करीब पांच लाख आबादी में से 90 फीसद लोग आज भी खुले ही शौच करने जाते हैं। हालांकि सरकार ने ग्रामीण क्षेत्र में प्रत्येक उस घर में शौचालय के निर्माण के लिए 13 हजार की राशि दे रही है। इसके बाद भी लोग खुले में शौच करने की आदत को नहीं छोड़ रहे हैं। हालांकि नई पीढ़ी में इसको लेकर जागरूकता आ रही है।
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खुले में शौच करने वालों को अपने घरों, या सार्वजनिक और सामुदायिक शौचालयों का निर्माण कराकर उनके इस्तेमाल के लिए बाध्य किया जाएगा। अगर किसी झुग्गी वाले ने इसमें सहयोग नहीं किया तो उसकी झुग्गियां रद की जा सकती है।
-केके चलोत्रा, मुख्य कार्यकारी अधिकारी नप कठुआ।
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