वर्षभर में पांच हजार लोगों का काटते हैं आवारा कुत्ते व बंदर
जागरण संवाददाता, कठुआ : जिले में आवारा कुत्तों, बंदरों व अन्य आवारा जानवरों के आतंक की भयावहता का
जागरण संवाददाता, कठुआ : जिले में आवारा कुत्तों, बंदरों व अन्य आवारा जानवरों के आतंक की भयावहता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि प्रतिदिन सिर्फ जिला मुख्यालय पर जिला अस्पताल में आठ से दस मरीज रैबीज के होते हैं। जिला अस्पताल के वैक्सीन सेंटर में तो एंटी रैबीज की उपलब्धता लगभग सुनिश्चित रहती है। इसके लिए अलग से इंजेक्शन देने के लिए टीकाकरण अधिकारी को तैनात किया होता है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में इसकी सुनिश्चतता रामभरोसे रखी गई है। किसी भी सरकारी अस्पताल में एंटी रैबीज वैक्सीन की सप्लाई नहीं है। अस्पताल में चिकित्सकों को सरकार ने बाजार से खरीदने के लिए अधिकृत किया है, जिसके चलते बाजार से खरीदकर वैक्सीन दी जाती है। ऐसे में जिला अस्पताल में तो उपलब्धता लगभग सुनिश्चित रहती है, लेकिन सब जिला व अन्य केंद्रों में उपलब्धता वहां के चिकित्सक पर निर्भर रहती है।
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वैक्सीन सेंटर की लाइव रिपोर्टिग
दैनिक जागरण की टीम ने मंगलवार को जिला अस्पताल के वैक्सीन क्लीनिक का दौरा किया और वहां का दृश्य किसी से छिपा नहीं था। सुबह ही आठ मरीज रैबीज के इंजेक्शन लगवाने के लिए पहुंचे थे। हालांकि अस्पताल में रैबीज के लिए कोई अलग क्लीनिक नहीं है। अस्पताल की डिस्पेंसरी में ही ऐसे मरीजों को इंजेक्शन नियमित रूप से डॉक्टरों द्वारा दी गई सलाह के अनुसार लगाए जाते हैं। रैबीज के मरीजों का जिला अस्पताल में इलाज की बजाय उन्हें तय दिनों में इंजेक्शन लगाए जाते हैं। इंजेक्शन लगाने के बाद उन्हें घरों में भेज दिया जाता है।
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जिला अस्पताल के सुपरिटेंडेंट डॉ. वीएस जम्वाल के अनुसार एंटी रैबीज की उपलब्धता हर समय सुनिश्ििचत होती है। इसकी सरकार से सप्लाई नहीं आती है। इसकी खरीदारी करने के लिए विभाग ने उन्हें अधिकृत किया होता है, जिसके चलते वे बाजार से पर्याप्त स्टाक रख लेते हैं।
हालांकि कई बार अस्पताल के सेंटर में उपलब्ध न होने पर तुंरत उपचार के लिए मरीज को बाजार से खरीदने के लिए भी कहा जाता है, लेकिन ऐसी स्थिति कभी कभार होती है, फिर भी बाजार से खरीदकर उसे इंजेक्शन दिया जाता है।
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जिले के ग्रामीण क्षेत्रों के अस्पतालों में भी प्रतिदिन दो से तीन मरीज रैबीज के होते हैं। सबसे ज्यादा बसोहली, बिलावर, हीरानगर, चड़वाल, बनी और रामकोट क्षेत्र में होते हैं। जहां पर वैक्सीन की उपलब्धता सुनिश्चत नहीं है। हालांकि सब जिला में फिर भी कहीं-कहीं उपलब्धता सुनिश्चत है, क्योंकि वहां पर भी इसकी खरीदारी अस्पताल के मुख्य चिकित्सक को करनी पड़ती है। ऐसे में सभी चिकित्सक इसके प्रति इतने गंभीर नहीं होते हैं।
ग्रामीण क्षेत्र में तो इसकी उपलब्धता रामभरोसे है। ऐसी स्थिति में कई बार आम व्यक्ति के लिए इसकी उपलब्धता सहजता और समय पर नहीं होती है। जिला अस्पताल में इसकी उपलब्धता आम मरीज के लिए लगभग सुनिश्चित है। एक वर्ष में रामकोट में कुत्ते के काटने से एक व्यक्ति की मौत हो चुकी है, जबकि पांच हजार के करीब लोग घायल हुए हैं।
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क्या कहते हैं अधिकारी
कुत्ते, बंदर या अन्य आवारा जानवर द्वारा काटने पर व्यक्ति को तुरंत इलाज के लिए चिकित्सा केंद्र में इलाज के लिए आना चाहिए। इसके लिए देरी नहीं करनी चाहिए, क्योंकि देरी से पीड़ित व्यक्ति के शरीर में रैबीज फैल सकता है। जिला, सब जिला व पीएचसी सहित अन्य सरकारी चिकित्सा केंद्रों में एंटी रैबीज इंजेक्शन की उपलब्धता सुनिश्चित की गई है। काटे गए जख्म के स्थान को पानी से धोना चाहिए और उसपर पट्टी नहीं बांधनी नहीं चाहिए। अस्पताल में इसका उचित उपचार है। अगर किसी को किसी चिकित्सा केंद्र में इसकी उपलब्धता सुनिश्चत नहीं है, वह उनसे उनके मोबाइल नंबर 9419234045 पर भी संपर्क कर सकता है।
- डॉ. आरके सांघड़ा, सीएमओ कठुआ