बिना भागवत के ज्ञान की प्राप्ति संभव नहीं
जागरण संवाददाता,कठुआ : भगवान श्री परशुराम जयंती के उपलक्ष्य में श्री ब्राह्मण सभा द्वारा आयोजित श्री
जागरण संवाददाता,कठुआ : भगवान श्री परशुराम जयंती के उपलक्ष्य में श्री ब्राह्मण सभा द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन भी पीयूष जी महाराज ने उपस्थित सैकड़ों श्रद्धालुओं को ज्ञान की गंगा में डुबकियां लगवाई। पीयूष जी ने अपने प्रवचनों में कहा कि श्रीमद भागवत कथा सुनने से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है। मनुष्य के मन से भय दूर होता है। उसे मृत्यु का जरा भी डर नहीं रहता है। इसके श्रवण करने से आत्म ज्ञान का बोध होता है। मनुष्य को पता चलता है कि आत्मा क्या और इसका परमात्मा से क्या संपर्क है। बिना भागवत के ज्ञान की प्राप्ति संभव नहीं है। जहां भागवत होती है,वहां भगवान खुद विराजमान होते हैं। उस घर और आसपास के क्षेत्र के प्राणियों को शांति मिलती है। भागवत एक ऐसा ज्ञान है,जिसके सुनने से मनुष्य के सारे भ्रम दूर हो जाते हैं। राजा परीक्षित ने इस कथा को सुना था,जिससे उसे मोक्ष की प्राप्ति हुई थी। कथा से आत्मा और परमात्मा के मिलन का ज्ञान होता है। पीयूष जी ने दूसरे दिन में कथा में आत्मदेव के घर दो संतानों के जन्म लेने जिसमें एक धुंधुकारी और दूसरा गोकरण नाम था। गोकरण धर्मी और ईश्वरीय सोच रखने वाला था और धुंधकारी जुल्म करने वाला और पापी था का प्रसंग सुनाया। इसके साथ ही कथा में भगवान शंकर द्वारा माता पार्वती को अमर कथा सुनाने और उनके द्वारा नींद आ जाना,उनके स्थान पर एक पक्षी द्वारा कथा सुनना, जो बाद में शुकदेव मुनि बने कहलाए। इसी बीच शंकर भगवान द्वारा उनकी कथा चोरी करने पर पक्षी का पीछा करना और ऋषियों के पास जाकर उनसे पक्षी के बारे में उनकी अमरा चोरी करने की जांच पड़ताल करना और ऋषियों द्वारा यह कहना है कि जब शंकर भगवान खुद जानते हैं कि कथा सुनने वाला अमर हो गया है तो फिर उसका पीछा कैसे करना, इसके बाद शंकर भगवान द्वारा वापस लौट आने का प्रसंग सुनाया गया गया।