शाबाश कठुआ! रच दिया इतिहास
राकेश शर्मा, कठुआ
शाबाश कठुआ! जो आपने कहा वो कर दिखाया। जोश, जज्बा और उत्साह से लबरेज होकर आपने इतिहास रच डाला। पिछले लोकसभा चुनाव में मतदान से चूकने वालों ने भी इस बार मौका हाथ से फिसलने नहीं दिया। मानों, जिलेभर की फिजा में यह अघोषित ऐलान था कि लिख दो इस बार नई इबारत।
यह आपका उत्साह ही था कि वीरवार को आपकी आंख कुछ जल्दी खुल गई। हड़बड़ी में नित्यक्रिया से निवृत्ता हुए। न चाय की परवाह की और न अखबारों की सुर्खियों पर नजर डालने की फिक्र। मतदान केंद्र तक पहुंचने में प्रतिस्पद्र्धा सूरज की किरणों से कर ली। पर व्यग्रता के साथ संयम भी कमाल का दिखा। मतदान केंद्र पर अनुशासित ढंग से अपनी बारी का इंतजार किया। इस दौरान कतार लंबी होती गई और मतदान फीसद का आंकड़ा भी बढ़ता रहा। जानते हैं यह कहां जाकर ठहरा। 73.03 पर। हां, यह और बढ़ने वाला था यदि मतदाता सूचियों की त्रुटियों ने अड़ंगा न डाला होता। खैर, कोई बात नहीं। पिछली बार के प्रदर्शन से तुलना करने पर आप गौरवान्वित महसूस करेंगे। दो-चार नहीं पूरे 21.42 फीसद का उछाल। जब आंकड़ों की बात चली है तो आपको विधान सभा क्षेत्र स्तर पर हाल बताते हैं। कठुआ में सर्वाधिक 78.28, फीसद मतदाओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। बिलावर में 71.21, हीरानगर में 76.64, बनी में 65.79, बसोहली में 65.70 फीसद लोग लोकतंत्र के इस महापर्व में शरीक हुए।
रुकिए, तस्वीर के दूसरे पहलू पर नजर न डालें तो इंसाफ नहीं होगा। हम में से कुछ लोगों में लोकतंत्र के प्रति निष्ठा तो उतनी ही है, लेकिन व्यवस्था से नाराजगी ने उनके कदम रोक दिए। बनी तहसील की पीकड़ पंचायत के लोगों ने चुनाव का बहिष्कार कर दिया। उम्मीद करते हैं कि हमारा वोट उनकी भी सभी समस्याओं को अगले पांच वर्षो में दूर कर देगा। और अगली बार इस महायज्ञ में वे भी अपने हिस्से की आहुति डालेंगे।
एक इबारत आपने और लिखी। आप दुनिया को यह बताने में कामयाब रहे कि भले ही राज्य के माथे पर आतंकवाद का ग्रहण लगा हो पर मतदान हिंसा के कलंक से मुक्त रहा। कहीं से भी कोई अप्रिय घटना की सूचना नहीं मिली।
संक्षेप में कहें तो लोकसभा चुनाव 2014 का महासमर कठुआ के लिए कई मायनों में अद्भुत और अभूतपूर्व रहा। कुछ सुधार, सबक और सहभागिता ने मतदान को एक उत्सव बना दिया। इस बार का अनुभव अगली बार अवश्य कुछ नया रंग लाएगा। हां, आपको एक बार फिर बधाई।