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हमेशा बना रहे पांडुलिपियों का अस्तित्व

जागरण संवाददाता, जम्मू : राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन और शाश्वत आर्ट गैलरी म्यूजियम एंड मनुस्क्रिप्ट लाइ

By JagranEdited By: Published: Fri, 24 Feb 2017 11:52 AM (IST)Updated: Fri, 24 Feb 2017 11:52 AM (IST)
हमेशा बना रहे पांडुलिपियों का अस्तित्व
हमेशा बना रहे पांडुलिपियों का अस्तित्व

जागरण संवाददाता, जम्मू : राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन और शाश्वत आर्ट गैलरी म्यूजियम एंड मनुस्क्रिप्ट लाइब्रेरी की ओर से कला केंद्र में आयोजित कार्यशाला में शोध छात्रों को पांडुलिपियों का संरक्षण करना सिखाया गया, जिससे इनका अस्तित्व बना रहे।

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कार्यशाला में राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन के संरक्षककीर्ति श्रीवास्तव, अर्चना गहलोत, मुहम्मद इलयास अहमद, मनुस्क्रिप्ट कंजरवेशन सेंटर लखनऊ के सिद्धार्थ कुमार, आइजीएनसीए दिल्ली के जितेंद्र चौहान ने पांडुलिपियों के संरक्षण से जुड़ी विभिन्न विधाओं पर अपने विचार प्रकट किए। कार्यशाला में भाग ले रहे जम्मू यूनिवर्सिटी के विभिन्न विभागों के शोध छात्रों ने भाग लिया।

कला केंद्र में शाश्वत आर्ट गैलरी म्यूजियम एंड मनुस्क्रिप्ट लाइब्रेरी की ओर से प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया है, जिसमें पांडुलिपियां, कलाकृतियां प्रदर्शित की गई हैं। इसमें साढे़ पांच फीट बाय छह फीट कपडे़ के ऊपर पूर्ण पारा के साथ लिखा गया है। एक पवित्र कुरान जिसे एक फुट बाय पांच फीट हैंड मेड पेपर पर लिखा गया है, जो आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। शाहनामा फिरदोसी व शजरा मुकदस को भी प्रदर्शित किया गया है। महाराजा गुलाब सिंह को पेश तहनियत नामा जश्न-ए-दशहरा, गुरु नानक देव जी की साकियों की श्रृंखला की 100 कलाकृतियां, छह बुद्धिस्ट कलाकृतियां, 10 पहाड़ी आर्ट कलाकृतियां दिल को छूने वाली हैं।

प्रोजेक्ट संयोजक डॉ. सुरेश अबरोल ने कहा कि कार्यशाला का आयोजन युवाओं को विरासत संभालने के लिए जागरूक करने के उद्देश्य से किया गया है। इससे पहले भी उन्होंने जम्मू में दो, शिमला में दो और दिल्ली में चार कार्यशालाओं का आयोजन किया हुआ है।

कार्यशाला में भाग ले रहे अभिमन्यु सिंह बलौरिया ने कहा कि कार्यशाला में काफी कुछ नया सीखने को मिला है। इससे उन लोगों को भी लाभ होगा, जिनके पास पांडुलिपियां हैं, लेकिन उन्हें इनका महत्व पता नहीं है। इस कार्यशाला में बहुत से ऐसे युवा जिन्हें संरक्षण से कोई लेना देना नहीं था, उन्होंने भी पूरी दिलचस्पी के साथ कार्यशाला में भाग लिया है। ऐसी कर्यशालाएं नियमित होने से काफी लाभ हो सकता है।


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