रिहायशी इलाकों में गोलाबारी से दहशत
संवाद सहयोगी, रामगढ़ : सीमांत के रिहायशी इलाकों में पाक सैनिकों द्वारा की जा रही गोलाबारी से
संवाद सहयोगी, रामगढ़ : सीमांत के रिहायशी इलाकों में पाक सैनिकों द्वारा की जा रही गोलाबारी से क्षेत्र के लोगों में दहशत है। पिछले वर्षो में पाक गोलाबारी का रेंज बढ़ाता ही जा रहा है।
पिछले कुछ वर्ष से पाक रेंजरों ने अपनी तोपों के रेंज बढ़ाकर सीधा भारतीय रिहायशी गावों की तरफ निशाना साध रखा है। जीरो लाइन के अलावा छह किमी के दायरे के गाव भी अब पाक गोलाबारी से सुरक्षित नहीं रहे।
अंतरराष्ट्रीय सीमा के साथ लगते साबा, रामगढ़, अरनिया, आरएसपुरा, हीरानगर, अखनूर, प्लावाला, छंब आदि सेक्टरों में होने वाली पाक गोलाबारी से रिहायशी गावों पर गोलाबारी का संकट है। पाक रेंजरों की तरफ से आम लोगों को नुकसान पहुंचाने के लिए हर किस्म के अधिक क्षमता वाले मोर्टार शेलों को भी प्रयोग में लाया जा रहा है।
मौजूदा समय में अरनिया सब सेक्टर में पाक रेंजरों द्वारा दागे गए अधिक क्षमता वाले मोर्टार शेल इस बात का पुख्ता सबूत हैं। पाक रेंजरों ने अरनिया सब सेक्टर में अधिक क्षमता वाले ऐसे कई मोर्टार शेल दागे, जिनसे हर तरफ तबाही का मंजर स्थापित हुआ।
पाक की इन नापाक हरकतों और आम जनता को पहुंचाए जाने वाले नुकसान ने अब सीमात लोगों के सामने नई चुनौती खड़ी कर दी है। पाक तोपों के बढ़ते रेंज के आगे सीमात लोगों को अब कहीं पर भी अपना जीवन सुरक्षित महसूस नहीं होता।
पूर्व पंचायत प्रतिनिधि स. मोहन सिंह भंट्टी, पूर्व सरपंच ओमप्रकाश, पूर्व सरपंच प्रेमपाल चौधरी, पूर्व सरपंच नाथा राम, पूर्व सरपंच पूरन चंद वर्मा, पूर्व सरपंच शिवराम, नंबरदार जनक सिंह, नंबरदार बहादुर सिंह ने कहा कि वर्ष 2015 से लेकर मौजूदा समय तक पाक गोलाबारी की शैली में लगातार बदलाव हुआ है। पहले तो सरहद पर होने वाली पाक गोलाबारी का सिलसिला जीरो लाइन तक ही सीमित रहता था, जिसका आम जनजीवन पर कोई असर नहीं पड़ता था। पिछले कुछ सालों से भारतीय रिहायशी गाव पाक गोलों के निशाने पर आ चुके हैं। जिस तरह से पाक गोले सीधे रिहायशी गावों में पड़कर तबाही मचा रहे हैं। इससे लोगों में दहशत है।